• ओआरओपी पर सरकार की एकतरफा घोषणा को नहीं मानेंगे पूर्व सैनिक

    नयी दिल्ली ! बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों से पहले पूर्व सैनिकों के लिए सरकार द्वारा एक रैंक एक पेंशन(ओआरओपी ) का ऐलान किये जाने की अटकलों के बीच पूर्व सैनिकों ने कहा है कि वे अपनी मांग पर कायम हैं और उन्हें विश्वास में लिये बिना की गयी घोषणा उन्हें मान्य नहीं है तथा वे अनशन जारी रखेंगे। ...

    नयी दिल्ली !   बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों से पहले पूर्व सैनिकों के लिए सरकार द्वारा एक रैंक एक पेंशन(ओआरओपी ) का ऐलान किये जाने की अटकलों के बीच पूर्व सैनिकों ने कहा है कि वे अपनी मांग पर कायम हैं और उन्हें विश्वास में लिये बिना की गयी घोषणा उन्हें मान्य नहीं है तथा वे अनशन जारी रखेंगे।  निर्वाचन आयोग बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा कुछ ही दिनों में करने वाला है और सूत्रों के अनुसार सरकार इससे पहले ओआरओपी के बारे में ऐलान करने का मन बना रही है।  ओआरओपी की मांग को लेकर अनशन कर रहे पूर्व सैनिकों के संयुक्त संगठन की अगुआई कर रहे सेवानिवृत्त मेजर जनरल सतबीर सिंह ने यूनीवार्ता के साथ बातचीत में कहा कि सरकार से कोई आश्वासन नहीं मिलने पर पूर्व सैनिक अभी भी अपनी मांग पर कायम हैं और वे पहले से मंजूर परिभाषा के तहत ओआरओपी की मांग से पीछे नहीं हटे हैं। यह पूछे जाने पर कि यदि सरकार अपनी ओर से एकतरफा घोषणा करती है तो उनका क्या रूख रहेगा ,उन्होंने कहा कि हमारा अनशन जारी रहेगा। सरकार द्वारा ओआरओपी को पूरी तरह लागू न किये जाने की स्थिति में अदालत की शरण में जाने के विकल्प पर उन्होंने कहा कि यह उस समय देखा जायेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार ने पेंशन निर्धारित करने के लिए वर्ष 2013 को बेस ईयर मानने, नयी पेंशन को एक अप्रैल 2014 से लागू करने और हर पांच वर्ष में पेंशन की समीक्षा करने की पेशकश की है। पूर्व सैनिकों का कहना है कि पहले वह एक वर्ष से दो वर्ष पर आये और अब वह तीन वर्ष की बात भी स्वीकार कर सकते हैं लेकिन पांच वर्ष की मांग कैसे मानी जा सकती है। पूर्व सैनिक नियमित अंतराल पर पेंशन की समीक्षा की मांग कर रहे हैं और वह चाहते हैं कि किसी भी समय किसी वरिष्ठ सैनिक की पेंशन उससे कनिष्ठ सैनिक से कम नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ओआरओपी लागू करने से सरकार पर पड़ने वाले बोझ के बारे में जानबूझकर गलत आंकड़े बताये जा रहे हैं जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो। दस पूर्व सैनिक पिछले लगभग 20 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं जबकि तीन की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा लगभग 30 पूर्व सैनिक 80 दिन से क्रमिक अनशन कर रहे हैं।


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