• दोधारी तलवार की तरह है भारतीय महिलाओं में पॉर्न के प्रति बढ़ता लगाव : विशेषज्ञ

    नई दिल्ली । रोक की तमाम कोशिशों के वाबजूद भारतीयों में पॉर्न देखने के प्रति रुचि बढ़ती जा रही है। जानकारों का मानना है कि इंटरनेट पर पॉर्न के प्रति यह लगाव लोगों को इसका आदि तो बनाएगा ही, साथ ही उन्हें सेक्स के प्रति अतिसंवेदनशील (हाइपरसेक्सुअल) भी बना सकता है। दिल्ली स्थित बीएलके सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक मनीश जैन ने इस समस्या पर विस्तार से प्रकाश डाला है। ...

    30 प्रतिशत भारतीय महिलाएं नियमित रूप से  देखती हैं पॉर्न वेबसाइट्स

    नई दिल्ली । रोक की तमाम कोशिशों के वाबजूद भारतीयों में पॉर्न देखने के प्रति रुचि बढ़ती जा रही है। जानकारों का मानना है कि इंटरनेट पर पॉर्न के प्रति यह लगाव लोगों को इसका आदि तो बनाएगा ही, साथ ही उन्हें सेक्स के प्रति अतिसंवेदनशील (हाइपरसेक्सुअल) भी बना सकता है।  दिल्ली स्थित बीएलके सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक मनीश जैन ने इस समस्या पर विस्तार से प्रकाश डाला है।

    जैन का कहना है, "आसक्ति की हद तक पॉर्न देखना, इसका आदि और सेक्स के प्रति अतिसंवेदनशील (हाइपरसेक्सुअल) बना सकता है। इससे संबंधों के टूटने की भी नौबत आ सकती है।" न्यूयार्क स्थित समाचार वेबसाइट ' द डेली बीस्ट' द्वारा सेक्स वेबसाइट 'पॉर्नहब' के साथ मिलकर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पहले की तुलना में पॉर्न वेबसाइट्स देखने वाली भारतीय महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। अब 30 प्रतिशत भारतीय महिलाएं पॉर्न वेबसाइट्स नियमित रूप से देखती हैं।

    अपने साथी पुरुषों की तुलना में जो पहले ऑनलाइन सेक्स के बड़े उपभोक्ता थे, भारतीय महिलाएं धीरे-धीरे अब इस फर्क को मिटाती जा रही हैं। अब वे ऑनलाइन सेक्स की अग्रणी उपभोक्ता के रूप में सामने आ चुकी हैं।  पिछले वर्ष की तुलना में भारतीय महिलाओं का ऑनलाइन सेक्स वेबसाइट्स को विजिट करने का प्रतिशत बढ़ा है।


    बीते साल यह आंकड़ा 26 प्रतिशत था, जो अब 30 प्रतिशत हो गया है। पॉर्नहब ने अपने 4 करोड़ उपभोक्ताओं के डाटाबेस से यह यह आंकड़ा प्राप्त किया गया है। न्यूयार्क स्थित वेबसाइट 'मिक डॉट कॉम' के द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि पॉर्न के मुख्य दर्शक पुरुष हैं लेकिन इस सहस्त्राब्दि की पीढ़ी यानी 1980 के बाद जन्में लोगों में पॉर्न देखने वाली महिलाओं में वैश्विक स्तर पर वृद्धि हुई है। दिल्ली के ही मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज के निदेशक समीर मल्होत्रा के अनुसार, "अत्यधिक पॉर्न देखने को महिला या पुरुष में लैंगित सक्रियता के लिए अधिक से अधिक दृश्य माध्यम की तलाश के रूप में देखा जा सकता है। यह इस क्रिया को बेहद मशीनी बना देता है।

    इसके कारण रिश्तों में तनाव उत्पन्न होने के साथ ही व्यक्तिगत और प्रेम से जुड़ी कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। "फोर्टिस हॉस्पिटल के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंस के निदेशक समीर पारिख ने बताया, "यह प्रमाणित हुआ है कि अत्यधिक पॉर्न देखना पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही विषयपरकता को बढ़ा देता है।

    "क्या पॉर्न देखना महिलाओं की कामेच्छा पर भी असर डालता है, इस सवाल के जवाब जैन ने कहा, "इसके परिणामों में अंतर हो सकता है। कुछ मामलों में यह कामेच्छा को बढ़ा सकता है तो अन्य मामलों में कामेच्छा कम हो सकती है और पॉर्न देखने पर ही संतुष्टि मिलती है। "कई अध्ययनों में यह साबित होने के वाबजूद कि पॉर्न देखना रिश्तों और मस्तिष्क के लिए बुरा है, कई अन्य अध्ययन कहते हैं कि पॉर्न देखना मस्तिष्क या दिमाग को स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाता बल्कि यह कि यह आपके लिए अच्छा हो सकता है।  जैन ने  कहा, "हाल के एक लेख में डेनमार्क के दो शोधकर्ताओं ने डेनमार्क के 688 व्यस्कों पर एक अध्ययन किया जिससे साबित हुआ कि पॉर्न के कारण कोई मानसिक या शारीरिक दुष्प्रभाव नहीं होता। बल्कि शोधकर्ताओं ने पाया कि पॉर्न देखने से बेहतर शारीरिक संतुष्टि और जीवन के अन्य क्षेत्रों में लाभ होता है।"

    पारिख हालांकि इस बात पर इत्तेफाक नहीं रखते। वह कहते हैं, "पॉर्नोग्राफी स्वास्थवर्धक नहीं हो सकती। हम यह कह सकते हैं कि हम किस तरह का पॉर्न देख रहे हैं और कितना देख रहे हैं लेकिन यह कभी भी स्वास्थयवर्धक चीज नहीं हो सकती। यह किसी की परिकल्पना को इस कदर उकसा सकता है कि उसका व्यवहार दूसरों के लिए खतरनाक हो सकता है।" कई बार पॉर्न मूवी में कई क्लिप्स को जोड़ का दिखाया जाता है। डॉ. मल्होत्रा आगाह करते हैं, " यह कई गलत कल्पनाओं और बेचैनी को जन्म दे सकता है।" विशेषज्ञ सलाह देते हैं, पॉर्न को केवल शारीरिक सुख के लिए न देखें, बल्कि अपने साथी के साथ एक संपूर्ण सुखद अनुभव के लिए देखें। आंकड़ों के अनुसार, इस सहस्त्राब्दि में 60 प्रतिशत पॉर्न स्मार्टफोन पर देखा जाता है, केवल 30 प्रतिशत लोग ही इसे कम्प्यूटर पर देखते हैं। 

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