• महंगाई, मंदी और बाढ़ की त्रासदी ने वैष्णो देवी की तेजी को लीला

    श्रीनगर ! माता वैष्णो देवी तीर्थस्थल की देखरेख का जिम्मा उठाने वाली संस्था श्राइन बोर्ड ाहे अपनी स्थापना के 30वें साल की खुशी मनाने में जुटी हुई है पर उसकी खुशी लगातरार दूसरे साल भी काफूर होने लगी है। कारण स्पष्ट है। लगातार बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या पर इस बार भी महंगाई, मंदी और जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ ने ब्रेक लगा दी है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह सब यात्रा की तेजी को लील चुके हैं।...

    चार सालों से लगातार कम हो रहे हैं वैष्णो देवी आने वाले श्रद्धालु नवरात्रों में भी कटड़ा में अधिक भीड़ नजर नहीं आई   यात्रा में कमी आने से कटड़ा व जम्मू के व्यापारी प्रभावित  श्रीनगर !   माता वैष्णो देवी तीर्थस्थल की देखरेख का जिम्मा उठाने वाली संस्था श्राइन बोर्ड अपनी स्थापना के 30वें साल की खुशी मनाने में जुटी हुई है पर उसकी खुशी लगातरार दूसरे साल भी काफूर होने लगी है। कारण स्पष्ट है। लगातार बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या पर इस बार भी महंगाई, मंदी और जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ ने ब्रेक लगा दी है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह सब यात्रा की तेजी को लील चुके हैं।  यह कितने लील चुके हैं आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि पिछले दो महीनों में ही वैष्णो देवी आने वालों की संख्या में सवा चार लाख की कमी आई है तो पिछले साल इसमें 2013 के मुकाबले 15 लाख श्रद्धालु कम आए थे। चिंता का विषय यह है कि पिछले लगातार चार सालों से वैष्णो देवी आने वालों का आंकड़ा लुढ़कता जा रहा है। हालांकि अभी साल के खत्म होने में 4 महीनों का समय है पर अब सर्दी की शुरूआत के कारण श्राइन बोर्ड को कोई उम्मीद नहीं है कि इस कमी की भरपाई हो सके। इस बार नवरात्रों में भी कटड़ा में अधिक भीड़ नजर नहीं आई थी। इस साल 31 अगस्त तक 52.52 लाख श्रद्धालु आए थे। पिछले साल इसी अरसे में आने वालों की संख्या 62.62 लाख थी। जबकि वर्ष 2012 में इसी अरसे में आने वालों की संख्या 82.44 लाख थी। अर्थात इस साल अभी तक दस लाख श्रद्धालु कम आए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले चार सालों से वैष्णो देवी आने वालों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। हालांकि नार्मल रूटीन में 20 से 25 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल होते रहे हैं पर यह आंकड़ा न ही श्राइन बोर्ड को खुशी दे पा रहा है और न ही उन लोगों को जिनकी रोजी रोटी यात्रा से जुड़ी हुई है। यात्रा में कमी आने से न सिर्फ कटड़ा के व्यापारी ही प्रभावित हुए हैं बल्कि जम्मू के व्यापारियों का भी तेल निकल रहा है। अब 10 से 12 हजार श्रद्धालु ही प्रतिदिन आ रहे हैं। दरअसल जम्मू कश्मीर में पिछले साल आई बाढ़ और उससे पहले साल उत्तराखंड त्रासदी ने लोगों के दिलो दिमाग में पहाड़ों के प्रति डर पैदा कर दिया है। इसी डर का परिणाम था कि पिछली बार अमरनाथ यात्रा में भी अधिक श्रद्धालु शामिल नहीं हो पाए थे और वैष्णो देवी यात्रा भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। यह इसी से स्पष्ट होता था कि उत्तराखंड त्रासदी के बाद अचानक ही वैष्णो देवी की यात्रा में 2 लाख की कमी आ गई थी तो जम्मू कश्मीर में में बाढ़ के कारण पहली बार सितम्बर में सिर्फ 4.19 लाख श्रद्धालु ही आए थे। पिछले साल सितम्बर में इससे दोगुने श्रद्धालु आए थे। वर्ष 2011 में वैष्णो देवी की यात्रा में 1.01 करोड़ तथा 2012 में 1.04 करोड़ श्रद्धालुओं ने शामिल होकर नया रिकार्ड बनाया था। जानकारी के लिए वर्ष 1950 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रतिवर्ष इस यात्रा में 3000 लोग ही शामिल हुआ करते थे। हालांकि इस बार श्राइन बोर्ड को उम्मीद थी कि यात्रा सवा करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी पर अब उसे लगने लगा है कि यह शायद ही पिछले साल के रिकार्ड को भी छू पाए। अभी तक सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का आंकड़ा वर्ष 2012 का है जब सर्वाधिक एक करोड़ 5 लाख श्रद्धालु आए थे।


     

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