• हड़ताल से देश बेहाल, जनजीवन रहा प्रभावित

    नई दिल्ली ! केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल और कर्नाटक सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। श्रम संगठनों के नेताओं का दावा है कि संगठित क्षेत्र से करीब 15 करोड़ कामगार यूनियन की 12 सूत्री मांगों के समर्थन में हड़ताल पर रहे।...

    केेंद्र सरकार के खिलाफ श्रमिक संगठनों ने खोला मोर्चा नई दिल्ली !   केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल और कर्नाटक सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। श्रम संगठनों के नेताओं का दावा है कि संगठित क्षेत्र से करीब 15 करोड़ कामगार यूनियन की 12 सूत्री मांगों के समर्थन में हड़ताल पर रहे। भाजपा समर्थित बीएमएस और एनएफआईटीयू ने हालांकि हड़ताल से दूरी बनाए रखी। इस हड़ताल का देश के विभिन्न हिस्सों में परिवहन एवं बैंकिंग परिचालनों समेत अन्य सेवाओं पर असर दिखा। सार्वजनिक क्षेत्र के 23 बैंक, निजी क्षेत्र के 12 बैंक, 52 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक एवं 13,000 से अधिक सहकारी बैंक आज हड़ताल में शामिल हुए। हालांकि एसबीआई, आईओबी, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं। आल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में कार्यरत दस लाख कर्मचारियों में से आधे से अधिक ने हड़ताल का समर्थन किया। कोलकाता में उपनगरीय ट्रेनों पर आंशिक असर देखा गया, जबकि ज्यादातर इलाकों में दुकानें, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद  रही। निजी बसों व टैक्सियों के परिचालन पर आंशिक असर देखा गया। कंपनियों को फायदा पहुंचा रही सरकार  देश के दस बड़े मजदूर संगठनों ने कहा है कि सरकार का कदम कॉर्पोरेट घरानों को मदद पहुुंचाने की कवायद भर है और इससे मजदूरों को कोई फायदा नहीं होने वाला।     25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान


      कोयला, सीमेंट, बिजली आपूर्ति, तेल एवं गैस परिवहन, भंडारण और बंदरगाह आदि क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित होने से तकरीबन 25 हजार करोड़ रूपए के नुकसान का अनुमान है। 

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