निगम में फील्ड स्टाफ की कमी
रोजाना लगभग 17 डेंगू के मामले
निगम अस्पतालों मेें उपलब्ध नहीं है पर्याप्त प्लेटलेट्स
नई दिल्ली, ! दिल्ली में दिनों दिन डेंगू का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। बीते सालों के मुकाबले इस साल डेंगू से लड़ाई में निगम पिछड़ रहा है। इस बात की तस्दीक निगम द्वारा जारी डेंगू मलेरिया रिपोर्ट भी कर रही है। बीती 29 अगस्त तक डेंगू के 831 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। जबकि इसी अवधि में पिछले साल 33, साल 2013 में 162, साल 2012 में 13 और 2011 में 73 मामले प्रकाश में आए थे।
डेंगू के 645 मामलों में से आधे से भी ज्यादा यानि 352 मामले उत्तरी दिल्ली नगर निगम के क्षेत्र से रिपोर्ट किए गए हैं। नेता विपक्ष मुकेश गोयल ने स्थाई समिति की बैठक में इस मामले को उठाया। नेता विपक्ष ने कहा कि इनमे से 114 मामले पिछले एक सप्ताह में ही रिपोर्ट हुए हैं यानि रोजाना लगभग 17 डेंगू मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तरी दिल्ल्ी नगर निगम का सम्पूर्ण क्षेत्र डेंगू की चपेट में है। उन्होंने कहा, आमतौर पर अनधिकृत कॉलोनियों, देहाती क्षेत्रों तथा झुग्गी-झौंपड़ी क्लस्ट्रों में डेंगू का रोग नहीं फैलता था। परन्तु इस बार के आंकड़ों ने इस धारणा को गलत सिद्ध कर दिया है। नरेला क्षेत्र में डेंगू के अब तक 164 मामलों की रिपोर्ट होना इस बात का सबूत है। इसलिए इस बार डेंगू की रोकथाम के लिए देहाती क्षेत्रों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
नहीं है पर्याप्त सुपरवाइजरी स्टाफ
निगम के स्वास्थ्य विभाग में पर्याप्त सुपरवाइजरी स्टाफ ही नहीं है जो मलेरिया डेंगू निरोधी कार्यों का नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण कर सके। मलेरिया विभाग में एपिडिमोलिजिस्ट के 6 पद में से 4 पद खाली है। एएमओ के भी 6 पद में से 5 पद रिक्त हैं। एसएमआई के 15 पद में से 14 पद रिक्त है। मलेरिया निरीक्षक के 129 पदों में से 63 पद रिक्त हैं। सहायक मलेरिया निरीक्षक के 378 स्वीकृत पदों में से 196 पद रिक्त हैं। निगम में फील्ड स्टाफ की भी है कमी
फील्ड स्टाफ की भी स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है क्योंकि एसएफडब्ल्यू के 27 पद, एफडब्ल्यू के 122 पद और डीबीसी के 39 पद अरसे से खाली पड़े हैं। संभावित ब्रीडिंग स्थलों पर फौंगिंग और कीटनाशकों के छिड़काव आदि कार्य के लिए जरुरी स्टाफ की कमी है। उन्होंने कहा यह तो गनीमत है कि दिल्ली में इस साल भारी बारिश नहीं हुई है और पानी जमा नहीं हुआ है। अगर भरपूर बारिश होती और मलेरिया के मच्छरों की उत्पत्ति और भी तेजी से होती तो स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की पोल खुल जाती।
एक करोड़ से ज्यादा घरों की जांच के आंकड़ों को बताया फर्जी
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के उस दावे को फर्जी करार दिया जिसके अनुसार एक जनवरी से 29 अगस्त तक डोमैस्टिक ब्रीडिंग चेकरों द्वारा एक करोड़ 32 लाख से ज्यादा घरों में जाकर उनकी जांच की जा चुकी है।