रायपुर। छत्तीसगढ़ में इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ने और सोशल मीडिया की सक्रियता के साथ ही अब साइबर अपराध तेजी से बढ़ने लगा है। अब तक इस अपराध के खिलाफ पुलिस की कार्रवाइयों को लेकर संशय की स्थिति बनी रहती थी, लेकिन यह हालात अब जल्द ही बदलने वाले हैं। राजधानी रायपुर में साइबर अपराध के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए जल्द ही साइबर थाना खोला जाएगा। इस थाने में वर्दीधारी पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा कंप्यूटर व आधुनिक तकनीक के जानकार भी रहेंगे।
इससे पहले साइबर अपराध की जांच के लिए साइबर सेल का गठन किया गया था, लेकिन तकनीकी दक्षता की कमी की वजह से यह सेल कारगर नहीं हो पाया। हाल के कुछ महीनों में प्रदेश में साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं। एटीएम कार्डधारियों को फोन करके उनसे छलपूर्वक पासवर्ड हासिल करने और बैंक खातों से रुपए उड़ाने की कई वारदातें हो चुकी हैं। यह क्रम अभी भी जारी है। जानकारी के अभाव में अभी भी लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। पुलिस उच्च अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के अपराधों पर अब सख्त कार्रवाई और नियंत्रण हो सकेगा। साथ ही लोग ठगी का शिकार होने से बचेंगे।
हाल ही में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें सोशल मीडिया में आपत्तिजनक टिप्पणियां, अश्लील तस्वीर एवं मानहानिकारक सामग्री प्रसारित किया जाना शामिल हैं। ऐसे सभी मामलों में अब बाकायदा शिकायतें ली जाएंगी, अपराध दर्ज किया जाएगा और तकनीक का इस्तेमाल कर अपराध करने वालों को तकनीक के सहारे ही पकड़कर कानून के कठघरे में खड़ा किया जाएगा। पुलिस विभाग ने महानगरों की तर्ज पर राजधानी रायपुर में साइबर थाना खोलने की तैयारियां तेज कर दी हैं।
साइबर थाने के लिए सेटअप की स्वीकृति का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया है। पुलिस विभाग का मानना है कि साइबर अपराध से जुड़े मामलों की विवेचना के लिए अलग थाना होने से साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के साथ ही फरियादियों को जल्द न्याय भी मिल सकेगा। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में वर्तमान में साइबर अपराध से संबंधित शिकायत प्राप्त होने पर जिले के विभिन्न थानों में मामला पंजीबद्ध किया जाता है। वर्तमान में ज्यादातर पुलिस थानों में साइबर अपराध की विवेचना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ भी नहीं हैं। थानों के सभी पुलिस कर्मियों को सायबर अपराध संबंधी प्रशिक्षण दिया जाना भी संभव नहीं है। पुलिस अफसरों का कहना है कि थानों में विशेषज्ञों व ट्रेनिंग के अभाव में सायबर अपराध के मामलों की विवचेना वर्षों तक लंबित रहते हैं, जिसके कारण पीड़ितों को समय पर न्याय भी नहीं मिल पाता है। बताया गया है कि राज्य शासन ने साइबर अपराध में विभिन्न सर्विस प्रोवाइडर या संस्थानों द्वारा डेटा उपलब्ध करवाने की समय-सीमा निर्धारित की है।
पिछले वर्षों से साइबर अपराधों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। राज्य शासन के आदेश के तहत स्वीकृत साइबर थाना फिलहाल क्रियाशील नहीं हुआ है। साइबर थाना खुलने से उसमें तैनात अमला व विशेषज्ञ साइबर अपराध पर पैनी नजर रखकर तत्काल कार्रवाई कर सकेंगे। कंप्यूटर नेटवर्क से संबंधित अपराध की श्रेणी में मुख्य रूप से हैकिंग, ई-मेल के माध्यम से धमकी देना, अज्ञात ई-मेल, मोबाइल फोन पर अश्लील संदेश देना व वाइरस आदि शामिल हैं। इसी तरह वित्तीय धोखाधड़ी के अपराध की श्रेणी में डिजिटल डाटा से खिलवाड़, वित्तीय संस्थानों जैसे कैंप, कार्यालय आदि की डाटा को गलत तरीके से प्राप्त करना शामिल हैं।
बौद्धिक संपदा से संबंधित अपराधों की श्रेणी में पेटेंट प्रोडक्ट की चोरी, सॉफ्टवेयर पायरेसी व म्यूजिक पायरेसी आदि शामिल हैं। इसके अलावा गैर साइबर अपराध में कंप्यूटर का उपयोग की श्रेणी में वैसे अपराध आते हैं, जो मुख्य रूप से पोर्नोग्राफी से संबंधित हैं, जिसमें कंप्यूटर के माध्यम से राष्ट्रविरोधी व समाज विरोधी कार्यकलाप शामिल हैं। रायपुर जिले में साइबर थाना स्थापित करने के लिए तीस पदों की आवश्यकता होगी। इनमें पर्यवेक्षण के लिए एक उप पुलिस अधीक्षक सहित विवेचना के लिए निरीक्षक, तकनीकी व कंप्यूटर विशेषज्ञ उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक, प्रधान आरक्षक, आरक्षक व वाहनचालक शामिल हैं। सायबर थाने का अमला, जिला पुलिस अधीक्षक के अधीन होंगे और इनका कार्य क्षेत्र रायपुर जिला होगा। सायबर थाने के लिए स्वीकृत होने वाले पदों पर करीब बाइस लाख रुपए सालाना खर्च का अनुमान है।