• नसबंदी कांड के कितने दोषी?

    नसबंदी कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने 13 महिलाओं की मौत के लिए जिम्मेदार डाक्टरों व दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है। ...

    नसबंदी कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने 13 महिलाओं की मौत के लिए जिम्मेदार डाक्टरों व दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि जांच रिपोर्ट विधानसभा के अगले सत्र में सदन की पटल पर रखा जाएगा। विपक्ष इस रिपोर्ट के साथ कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर चुका है। नसबंदी कांड में डाक्टरों और दवा विक्रेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं। कितने और दोषी हैं और अब आगे सरकार क्या कार्रवाई करेगी, यह स्पष्ट नहीं है। महत्वपूर्ण यह भी है कि इस तरह की घटनाओं  को रोकने के उपाय किए जाएं। इसके लिए न्यायिक जांच आयोग ने सुझाव भी दिए हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर नसबंदी शिविरों के आयोजन में विशेष सावधानी रखने, जागरुकता के लिए स्कूल स्तर अभियान चलाना भी शामिल है। न्यायिक आयोग की जांच मुख्यत: उन्हीं दस्तावेजों व बयानों पर आधारित है, जो घटना के बाद विभिन्न स्त्रोतों के जरिए सार्वजनिक हुए और फिर आयोग के सामने आए। आयोग की अध्यक्ष सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अनिता झा ने इस मामले में सीधे भी साक्ष्य आमंत्रित किए थे और कई पीडि़त परिवारों की ओर से शपथ पत्र देकर घटना के कारणों से आयोग को अवगत कराया गया था। नवम्बर 2014 में इस घटना के सामने आने के बाद पहले यह माना गया कि संक्रमण फैलने के कारण महिलाओं की मौत हुई। पेण्डारी स्थित जिस निजी अस्पताल में नसबंदी शिविर आयोजित किया था, वहंा साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं थी। नसबंदी में इसे लापरवाही का मामला माना गया। यह बात भी उठी थी कि एक डाक्टर एक निश्चित समय में जितने आपरेशन कर सकता है, उससे कहीं अधिक आपरेशन इस शिविर में हुए। संबंधित डाक्टरों पर लापरवाही का आपराधिक प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। इसी बीच महिलाओं की मौत के लिए उन्हें दी गई दवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे और स्वयं सरकार के स्वास्थ्य सचिव की ओर से कहा गया कि महिलाओं को दी गई सिप्रोसिन नाम की एंटी बायोटिक दवा में चूहामार रसायन मिले होने का पता चला है। साइंस कालेज की लैब की जांच रिपोर्ट को इसका आधार बताया गया। सिप्रोसिन दवा कंपनी के संचालक गिरफ्तार कर लिए गए। नसबंदी कांड का यह मामला दोषियों पर कार्रवाई के फैसले पर ही खत्म होने वाला नहीं है। अभी दवा की गुणवत्ता तथा दोषों के निर्धारिण के लिए चिकित्सा क्षेत्र में मान्य जांच के आधारों पर साक्ष्यों का परीक्षण होना भी बाकी है। दोषी मानते हुए जिन पर कार्रवाई हुई है, वे पुलिस की कार्रवाई को चुनौती भी दे सकते हैं।

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