• हिमाचल में शिक्षा स्तर में गिरावट से विधायक चिंतित

    शिमला ! हिमाचल प्रदेश में लगभग 200 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं। सरकारी विद्यालयों के कक्षा पांच के 50 प्रतिशत विद्यार्थी कक्षा दो की पाठ्य पुस्तकें पढ़ने और समझने में सक्षम नहीं हैं और वे तीन अंकों के गणित के सवाल हल नहीं कर सकते हैं। ऐसा कहना है राज्य के कई विधायकों का। ...

    शिमला !  हिमाचल प्रदेश में लगभग 200 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं। सरकारी विद्यालयों के कक्षा पांच के 50 प्रतिशत विद्यार्थी कक्षा दो की पाठ्य पुस्तकें पढ़ने और समझने में सक्षम नहीं हैं और वे तीन अंकों के गणित के सवाल हल नहीं कर सकते हैं। ऐसा कहना है राज्य के कई विधायकों का। प्राथमिक शिक्षा के गिरते मानकों से चितित विधायकों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विधानसभा में शिक्षा प्रणाली में गिरावट को रोकन के लिए सुधार की मांग की है।

    कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के एक-एक विधायक ने 18 अगस्त को आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की तारीफ करते हुए राजनेताओं, नौकरशाहों तथा न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने की मांग की।

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि सरकारी विद्यालयों की दयनीय दशा इसी तरीके से सुधर सकती है।

    शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिह ने ब्रिटिश प्रणाली पुनर्जीवित करने का पक्ष लिया। इस प्रणाली के तहत शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए शैक्षिक संस्थानों का निरीक्षण किया जाता है।

    भाजपा विधायक इंद्र सिंह के अनुसार, राज्य में 107 प्राथमिक विद्यालयों की हर कक्षा में केवल एक या दो विद्यार्थी हैं, और इसी तरह 943 विद्यालयों में एक ही शिक्षक हैं, और 200 विद्यालयों में तो शिक्षक हैं ही नहीं।

    उन्होंने हालांकि कहा कि साल 2003 में सरकारी स्कूलों में 90 प्रतिशत बच्चे पढ़ते थे, जो घटकर अब 58 प्रतिशत रह गए हैं।

    इंद्र सिंह ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐतिसाहिक फैसला दिया है और इसका राज्य में भी पालन किया जाना चाहिए और तभी शिक्षा के स्तर में सुधार होगा।


    कांग्रेस विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री आशा कुमार ने कहा कि कोई भी दूरदराज के क्षेत्रों में नहीं रहना चाहता है। उन्होंने कहा कि सरकार को आवासीय सुविधाओं के साथ मॉडल विद्यालयों की स्थापना भी करनी चाहिए।

    कांग्रेस सदस्य और हिमाचल विधानसभा के उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी स्वयं भी दूरदराज के किन्नौर जिले से हैं और उन्होंने कहा कि विद्यालय तथा कॉलेज के अध्यापकों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में पढ़ाया जाना अनिवार्य कर देना चाहिए।

    गैर सरकारी संगठन प्रथम की साल 2012 की शिक्षा रपट का हवाला देते हुए भाजपा सदस्य और पूर्व व्याख्याता हंस राज ने कहा कि कक्षा पांच के 50 प्रतिशत विद्यार्थी कक्षा दो के विद्यार्थियों की पाठ्य पुस्तकें पढ़ पाने में अक्षम हैं।

    विधानसभा में ध्वनि मत से खारिज हुए प्रस्ताव पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "हमें स्कूल निरीक्षकों की जरूरत है। उनका काम विद्यार्थियों और शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षा स्तर की जांच करने का होना चाहिए। उन्हें औचक जांच करनी चाहिए।"

    मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वीकार किया है कि देश की शिक्षा प्रणाली आदर्श प्रणाली नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं कह सकता हूं कि शिक्षा पहले से काफी अच्छी हो गई है और मैं अतिरिक्त सुधार करूंगा, जिससे राज्य भविष्य में अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बने।"

    अधिकारियों का कहना है कि राज्य में 68 लाख से अधिक लोगों के लिए 86 डिग्री कॉलेजों के अलावा 10,738 प्राथमिक, 2,292 माध्यमिक, 846 उच्च माध्यमिक तथा 1,552 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं।

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