• उन्नति की राह का अंधेरा

    छत्तीसगढ़ में सरप्लस बिजली होने का पूरा लाभ अभी भी गांवों को नहीं मिल रहा है। ऐसे अनेक गांव हैं जहां बिजली आपूर्ति की स्थिति बहुत ही खराब है। इस समय जब अवर्षा की स्थिति के कारण सूखे की आशंका बढ़ती जा रही है, गांवों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति की सबसे अधिक जरुरत है। ...

    छत्तीसगढ़ में सरप्लस बिजली होने का पूरा लाभ अभी भी गांवों को नहीं मिल रहा है। ऐसे अनेक गांव हैं जहां बिजली आपूर्ति की स्थिति बहुत ही खराब है। इस समय जब अवर्षा की स्थिति के कारण सूखे की आशंका बढ़ती जा रही है, गांवों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति की सबसे अधिक जरुरत है। बिजली की अघोषित कटौती की समस्या ही नहीं बल्कि कई जगह वोल्टेज कम होने कारण लोग बिजली सुविधा का समुचित लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं। बिजली वितरण कंपनी घाटे का रोना रोती है और सरकार आम जनता की खातिर कंपनी को इस घाटे की भरपाई करती है। यह सोचने वाली बात है कि यह पैसा भी जनता का ही है जो सरकार की ओर से कंपनी प्राप्त कर रही है। बिजली आपूर्ति की नीति में इस बात पर प्रमुखता से सोचने की जरुरत है कि राज्य में सरप्लस बिजली आम ग्रामीणों, किसानों को समृद्ध बनाने में किस तरह उपयोगी हो सकती है। जांजगीर-चांपा  को एक नए जिले के रुप में अस्तित्व में आए वर्षों हो गए पर वहां विकास की बुनियादी अधोसंरचनाओं की स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है। इसमें बिजली भी शामिल है। हालत यह है कि जिला मुख्यालय में घंटों बिजली नहीं रहती। राज्य में कृषि का सर्वाधिक सिंचित रकबा इसी जिले में है। अगर बिजली नहीं होगी तो लोग इस सुविधा का लाभ कैसे ले सकेंगे। नहरों से पूरी सिंचाई तो हो नहीं सकती। इस समस्या को राजनैतिक चश्मे से देखने की बजाय उस वास्तविकता को समझने की जरुरत है, जिसके कारण कांग्र्रेसियों को बिजली समस्या को लेकर आंदोलन करना पड़ा। उन्होंने बिजली अधिकारियों का घेराव किया और उन्हें हाथ के पंखे, लालटेन भेंटकर समस्या पर अपनी खीझ और क्षोभ जाहिर किया। यही स्थिति कई दूसरे जिलों में भी है और यह समस्या बिजली लाइनों के रखरखाव, सब-स्टेशनों और ट्रांसफार्मरों का उनकी क्षमता के अनुरुप इस्तेमाल न होने की वजह से है। ट्रांसफार्मरों के आज लगने और कल जल जाने  को लेकर कंपनी के अधिकारियों पर इनकी खरीदी में भ्रष्टाचार के लगने वाले आरोपों को उनके तात्कालिक रोष का परिणाम समझकर नजरअंदाज कर देने से राज्य की उन्नति की राह का यह अंधेरा दूर होने वाला नहीं है। बिजली गांवों में पहुंचाना तो प्राथमिकता है ही, हर गांव में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हो, बिजली कंपनी का लक्ष्य होना चाहिए। रोशनी के लिए बिजली का उपयोग करने वाले ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली कंपनी यह कहते हुए काट देती है कि वे बिल का भुगतान नहीं करते। कंपनी कोई विदेशी पंूजी से तो चल नहीं रही है। पहले ऐसे उपभोक्ताओं को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने के बारे में भी सोचना चाहिए। गांवों में जिस तेजी से छोटे-बड़े उद्योग-धंधे विकसित होने चाहिए थे, वे बिजली आपूर्ति की खराब स्थिति के कारण नहीं हो सके। सरकारी तंत्र ने कभी इसकी समीक्षा भी नहीं की। एक स्वतंत्र सर्वेक्षण कराकर सरकार देख सकती है कि राज्य में सरप्लस बिजली का लाभ गांवों में रहने वाली अधिसंख्य आबादी को कितना मिल पा रहा है।

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