• हिलेरी के 3 संकट -ट्रंप, सैंडर्स और ई-मेल

    वाशिंगटन ! अमेरिका में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की प्रबल डेमोक्रेट दावेदार हिलेरी क्लिंटन की घटती लोकप्रियता से उनकी पार्टी के कर्णधारों के माथे पर शिकन पड़ने लगी है। दूसरी तरफ उनके प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के कर्णधारों को उम्मीद है कि वह अपनी लोकप्रियता का स्तर सुधार कर पार्टी की राह आसान बनाएंगे। ...

    वाशिंगटन !  अमेरिका में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की प्रबल डेमोक्रेट दावेदार हिलेरी क्लिंटन की घटती लोकप्रियता से उनकी पार्टी के कर्णधारों के माथे पर शिकन पड़ने लगी है। दूसरी तरफ उनके प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के कर्णधारों को उम्मीद है कि वह अपनी लोकप्रियता का स्तर सुधार कर पार्टी की राह आसान बनाएंगे। इस रिपब्लिकन उम्मीद ने भी डेमोक्रेट की िंचंताएं बढ़ा दी हैं।  रियल एस्टेट कारोबारी डोनाल्ड ट्रंप की लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है। उधर डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व की चहेती मानी जा रही पूर्व विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन को अपनी पार्टी में समाजवादी बर्नी सैंडर्स से कड़ी चुनौती मिल रही है। 73 साल के सैंडर्स वरमोंट से आजाद सीनेटर हैं। वह इस कोशिश में हैं कि डेमोक्रेटिक पार्टी के मतदाता उन्हें ही राष्ट्रपति चुनाव में इस पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार चुनें। सैंडर्स जहां कहीं भी जा रहे हैं, भारी भीड़ जुटा रहे हैं। 'अरबपति वर्ग' के खिलाफ उनकी बातें काफी पसंद की जा रही हैं और उनकी लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ता हुआ हिलेरी का पीछा कर रहा है। लेकिन, ट्रंप और सैंडर्स से बड़ी चुनौती हिलेरी को ई-मेल विवाद से मिल रही है। कहा जा रहा है कि विदेशमंत्री रहने के दौरान हिलेरी ने ई-मेल भेजने के लिए अपने निजी सर्वर का इस्तेमाल किया था। इससे उनकी छवि प्रभावित हुई है और लोगों के बीच उनकी ईमानदारी को लेकर सवाल उठे हैं। इस ई-मेल विवाद पर हिलेरी के एक मजाकिया बयान ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। उन्होंने पहले मजाक किया कि वह तो स्नैपचैट का इस्तेमाल इसलिए करती हैं क्योंकि इसमें संदेश आनन-फानन में हवा हो जाते हैं। फिर जब संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने विधि विभाग और एफबीआई जांचकर्ताओं को सौंपने से पहले अपने सर्वर को साफ कर दिया था तो उन्होंने कहा, "मतलब, क्या? जैसे किसी कपड़े या किसी और चीज से? " क्लिंटन की घटती लोकप्रियता से इस कयास को भी बल मिला है कि उपराष्ट्रपति जो बिडेन डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से चुनाव मैदान में कूद सकते हैं। इससे हिलेरी की मुश्किल बढ़ सकती है क्योंकि एक ताजा जनमत सर्वे के मुताबिक लोग हिलेरी के मुकाबले बिडेन को अधिक भरोसे लायक समझते हैं। हिलेरी क्लिंटन की जो भी दुश्वारियां हों, उनके भारतीय मूल के सलाहकार मजबूती से उनके साथ खड़े हैं।  उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से जाकर अमेरिका में बसे निवेशक फ्रैंक इस्लाम ने आईएएनएस को बताया कि भारतीय मूल के लोगों से हिलेरी को हर तरह की मदद मिल रही है।  इस्लाम ने आईएएनएस से कहा, "भारतीय मूल के लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद दी है, कुछ ऐसी ही मदद जुटा रहे हैं, कई उनके अभियान में स्वेच्छा से काम कर रहे हैं।" इस्लाम ने कहा कि भारतीय मूल के लोगों के साथ हिलेरी क्लिंटन के हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। सीनेटर का चुनाव रहा हो या फिर 2008 का राष्ट्रपति चुनाव, भारतवंशियों ने हमेशा उनकी मदद की।  इस्लाम ने कहा कि विदेशमंत्री रहने के दौरान हिलेरी ने भारत से रिश्तों को सुधारने पर काफी जोर दिया था। इससे भी भारतीय मूल के अमेरिकियों में उनकी अच्छी छवि बनी।


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