• इलेक्ट्रिसिटी बिल के विरोध मे राजनाथ सिंह को बिजली इंजीनियरों ने दिया ज्ञापन

    इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2014 के विरोध में बिजली इंजीनियरों ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर उन्हें ज्ञापन दिया और बिल के जन विरोधी पहलुओं से उन्हें अवगत कराते हुए मांग की कि राष्ट्रीय महत्त्व के इस मसले पर जल्दबाजी में एकतरफा निर्णय न लिया जाये।...

    राष्ट्रीय महत्त्व के मसले पर जल्दबाजी में एकतरफा निर्णय न लेने की मांग

    लखनऊ। इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2014 के विरोध में बिजली इंजीनियरों ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर उन्हें ज्ञापन दिया और बिल के जन विरोधी पहलुओं से उन्हें अवगत कराते हुए मांग की कि राष्ट्रीय महत्त्व के इस मसले पर जल्दबाजी में एकतरफा निर्णय न लिया जाये। गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि वे बिजली इंजीनियरों द्वारा उठाये गए बिन्दुओं पर केंद्रीय विद्युत मंत्री पीयूष गोयल से बात करेंगे और उन्हें बिजली इंजीनियरों के साथ इस मामले में विस्तृत वार्ता के लिए कहेंगे।

    आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के अध्यक्ष आर के सिंह एवं महासचिव डी सी दीक्षित ने केंद्रीय गृह मंत्री से लखनऊ में मिलकर इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2014 के प्राविधानों पर चर्चा की।

    शैलेन्द्र दुबे ने गृह मंत्री को बताया कि बिल के विरोध में प्रधान मंत्री और सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को पहले ही पत्र भेजकर प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की जा चुकी है कि बिल को जल्दबाजी में पारित न किया जाये और बिजली की बेहतरी हेतु बिजली इंजीनियरों, कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं की इस बारे में राय ली जाये किन्तु अत्यंत दुर्भाग्य का विषय है कि कर्मचारियों के विरोध को दरकिनार कर बिल को लोकसभा के एजेंडा में शामिल कर लिया गया है जिससे कर्मचारियों में भारी गुस्सा है।  उन्होंने प्रस्तावित संशोधनों को जन विरोधी करार देते हुये कहा है कि संशोधन बिजली आपूर्ति के निजीकरण हेतु किया जा रहा है, जिसमें निजी घरानों के मुनाफे का खास ध्यान रखा गया है जबकि आम जनता पर टैरिफ में भारी वृद्धि का बोझ डालने की तैयारी है।


    बिजली इंजीनियरों ने राजनाथ सिंह के समक्ष बिजली बिल के विरोध में सात प्रमुख बिंदु उठाये गए। पहला यह कि 2019 तक सबको बिजली मुहैय्या कराने के लिए संशोधन बिल में क्या प्राविधान है और साढ़े पांच लाख करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज और घाटे में चल रही बिजली वितरण कम्पनियाँ इस संशोधन की किस धारा से घाटे से उबर पाएंगी और सबको बिजली देने का लक्ष्य कैसे पूरा होगा। दूसरा यह कि बिजली आपूर्ति के नए प्रायवेट लायसेंसी बिजली आपूर्ति करने में अपना मुनाफा देखते हुए सामान्य घरेलू उपभोक्ता और औद्योगिक / वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के बीच भेदभाव करेंगे तो इससे निपटने का संशोधन बिल में क्या प्राविधान है। तीसरा यह कि प्रस्तावित संशोधन के बाद कहीं आम घरेलू उपभोक्ताओं को ही बिजली दरों में भारी वृद्धि का झटका तो नहीं झेलना पड़ेगा। चौथा यह कि जब निजी सप्लाई कम्पनियाँ मुनाफे का सौदा करेंगी तो सरकारी आपूर्ति कंपनी के पास केवल ग्रामीण, बीपीएल और कम राजस्व वाले उपभोक्ता ही बचेंगे तो ऐसे में सरकारी कंपनी और अधिक घाटे में चली जायेगी परिणामतः गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली मिलेगी ही नहीं। पांचवा यह कि सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा जैसे गैर परंपरागत क्षेत्र को प्रोत्साहन, छठा यह कि रेगुलेटरी कमीशन को स्वायतत्ता देने के लिए संशोधन बिल में क्या प्राविधान है और सातवां यह कि कहीं संशोधन बिल अनावश्यक कानूनी झगड़ों और मुकदमेबाजी को जन्म तो नहीं देगा।

    श्री दुबे ने बताया कि एक ओर केन्द्र सरकार 2019 तक सबको बिजली मुहैय्या कराने की बात कह रही है, जिसके लिये 15.7 लाख करोड़ रू0 खर्च होने का अनुमान है जिसमें 5.27 लाख करोड़ रू0 वितरण कम्पनियों के घाटे की भरपाई के लिये है, दूसरी ओर वितरण व आपूर्ति को अलग कर आपूर्ति हेतु निजी घरानों को लाइसेन्स देने का संशोधन बिल लाया गया है, जिससे वितरण कम्पनियों का घाटा और बढ़ेगा तो 2019 तक सबको बिजली देने का लक्ष्य कैसे पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति में मोबाइल के सिम कार्ड की तरह आपूर्ति कर्ता कम्पनियां बदल सकने की बात करना सही नहीं है क्योंकि भारत में बिजली का गम्भीर संकट है ओर कम्पटीशन सरप्लस स्थिति में होता है जब कि कमी की स्थिति में ब्लैक मार्केट होता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सकरार की पहली प्राथमिकता वितरण कम्पनियों को घाटे से उबारना, ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू व सिंचाई के फीडर अलग करना, बिजली उत्पादन बढ़ानें हेतु कोयला व गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करना, ट्रान्समिशन की क्षमता बढ़ाना होना चाहिए जिसके लिये इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल 2014 में क्या प्रविधान है यह स्पष्ट नहीं है।

    बिजली नेताओं ने बताया कि राजनाथ सिंह ने बिजली इंजीनियरों द्वारा उठाये गए बिन्दुओं पर केंद्रीय विद्युत मंत्री श्री पीयूष गोयल के साथ वार्ता करने और सार्थक कार्यवाही का आश्वासन दिया।

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