• पाकिस्तानी अखबार ने पूछा- क्यों बना था पाकिस्तान?

    अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं कर सका पाकिस्तान।... पाकिस्तान के हरे झंडे में अल्पसंख्यकों का प्रतीक कहा जाने वाला सफेद रंग बीते दशकों में कई बार इनसानों के लहू से लाल हो चुका : पाकिस्तानी दैनिक ...

    अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं कर सका पाकिस्तान : पाकिस्तानी दैनिक

    पाकिस्तान के हरे झंडे में अल्पसंख्यकों का प्रतीक कहा जाने वाला सफेद रंग बीते दशकों में कई बार इनसानों के लहू से लाल हो चुका ।

    इस्लामाबाद। क्यों बना था पाकिस्तान? यह सवाल पाकिस्तान के एक अखबार में पूछा गया है। सवाल का संदर्भ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़ा है। अखबार में लिखा गया है कि पाकिस्तान अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी 'अनूठी दूरदर्शी सोच' की राह से भटक गया है।

    समाचार पत्र द इंटरनेशनल न्यूज ने देश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लिखे अपने संपादकीय का शीर्षक दिया है, 'अ न्यू रोडमैप।'

    संपादकीय में पाकिस्तानी पाठकों से कहा गया है, "हमें इस बारे में बात करने की जरूरत है कि पाकिस्तान क्यों बना था और हम अपने लक्ष्य से किस हद तक भटक गए हैं।"

    संपादकीय में लिखा गया है, 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा था, "अब हिंदू, हिंदू नहीं रहा और मुस्लिम, मुस्लिम नहीं। यह बात धार्मिक संदर्भो में नहीं है। यह तो हर व्यक्ति की निजी आस्था का मामला है। इस बात का आशय राजनैतिक है, अब सभी एक राष्ट्र के नागरिक हैं।"

    संपादकीय में कहा गया है, "पाकिस्तान का जन्म भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए हुआ था। इस हिसाब से यह बात बिलकुल समझ में आने वाली थी कि अब पाकिस्तान अपनी सीमा क्षेत्र में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करेगा।"


    संपादकीय में कहा गया है, " लेकिन, अपनी इस अनूठी दूरदर्शी सोच से हम कितना भटक गए हैं, इस दर्दभरी कहानी को शायद किसी को बताने की जरूरत नहीं है। अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में हमारी विफलता सिर्फ उनकी उपेक्षा में ही नहीं छिपी है बल्कि इसका संबंध कानूनों से और भीड़ को इकट्ठा कर इनके उत्पीड़न के प्रत्यक्ष रूपों से भी है। "

    संपादकीय में पाकिस्तानी संसद के दोनों सदनों, नेशनल एसेंबली और सीनेट में 11 अगस्त को पारित उस प्रस्ताव की सराहना की गई है जिसमें अल्पसंख्यक समूहों को अधिक मान्यता देने की बात कही गई है।

    संपादकीय में कहा गया है कि प्रस्तावित अल्पसंख्यक राष्ट्रीय आयोग शायद इन फरामोश कर दिए गए नागरिकों को पाकिस्तानी होने की और इस वजह से उन्हें देश में समान अधिकार और सुरक्षा देने की तरफ कदम बढ़ाए।

    संपादकीय में लिखा गया है, "अभी तो, जमीनी हकीकत यही है कि कुछ नहीं बदला है। हत्याएं और हिंसा की अन्य वारदात लगातार हो रही हैं। लाक्षणिक रूप से कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के हरे झंडे में अल्पसंख्यकों का प्रतीक कहा जाने वाला सफेद रंग बीते दशकों में कई बार इनसानों के लहू से लाल हो चुका।"

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