• जीएसटी विधेयक हंगामे के बीच राज्यसभा में पेश

    नई दिल्ली ! केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को भारी शोर शराबे के बीच राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया। राज्यसभा की प्रवर समिति की रपट आने के बाद विधेयक पेश किया गया, लेकिन कांग्रेस के पुरजोर विरोध किए जाने पर उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।...

    नई दिल्ली !   केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को भारी शोर शराबे के बीच राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया। राज्यसभा की प्रवर समिति की रपट आने के बाद विधेयक पेश किया गया, लेकिन कांग्रेस के पुरजोर विरोध किए जाने पर उपसभापति पी.जे. कुरियन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। कांग्रेस सदस्यों के सभापति के आसंदी के सामने इकाट्ठा होकर हंगामा करने पर जेटली ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का मकसद देश के आर्थिक विकास को ठप करना है। वित्तमंत्री ने कहा, "असली मकसद यह है कि वे आर्थिक विकास रोकना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास हो। इसलिए वे जीएसटी विधेयक को पारित होने से रोकने के लिए एक के बाद एक कारण बताते रहते हैं।" उन्होंने कहा, "हर राजनीतिक पार्टी इसके पक्ष में है और कांग्रेस यदि चाहती है कि देश की विकास की गति धीमी हो, तो उसे खुलकर यह बात कहनी चाहिए।" विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस विधेयक पर चर्चा के लिए समय आवंटित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, "(इस विधेयक के लिए) समय नहीं आवंटित किया गया है। इसे बुलेटिन में शामिल नहीं किया गया है। कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) ने समय नहीं दिया है। यह नियम का उल्लंघन है।" सरकार ने कहा कि बीएसी ने विगत सत्र में इस पर चर्चा के लिए चार घंटे आवंटित किए थे। इसके जवाब में शर्मा ने कहा कि उसका अब कोई मतलब नहीं, क्योंकि तब इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था। विधेयक पेश होते ही कांग्रेस सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के त्यागपत्र की मांग की। इसके तुरंत बाद उपसभापति पी.जे. कुरियन ने दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। जीएसटी लागू होने से पूरा देश एक विशाल अविभाजित बाजार में परिणत हो जाएगा। अधिकतर अप्रत्यक्ष कर इसमें समाहित हो जाएंगे। इससे आपूर्ति श्रंखला मजबूत होगी और महंगाई में गिरावट आएगी। इसे कानूनी रूप दिया जाना हालांकि एक चुनौती है, क्योंकि एक संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते संसद के दोनों सदनों में इसे दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा। राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हालांकि बहुमत में नहीं है। संसद से पारित होने के बाद इसे कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से भी पारित कराना होगा। तब जाकर इसे राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जा सकेगा। सरकार ने इसे एक अप्रैल, 2016 से लागू कर देने का लक्ष्य रखा है।


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