राजभवन अब राजनीतिक भवन बन गया है- आजम खां
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल अपने दिल में दबी सियासी हसरतें छिपा नहीं पा रहे हैं और मुख्यमंत्री कार्यालय के समांतर अपना कार्यालय चला रहे हैं। राज्यपाल राम नाईक को अब उप्र के विकास की चिंता सताने लगी है। सूबे के विकास को लेकर फिक्रमंद नाईक ने उप्र के सभी सांसदों (लोकसभा व राज्यसभा) को पत्र लिखकर चर्चा के लिए राजभवन आने का बुलावा भेजा है।
नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व राज्यपाल राम नाईक के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। इसी बीच मंत्री आजम खां के बयान ने भी आग में घी डालने का काम किया है। आजम ने रविवार को अपने एक बयान में कहा था, "राजभवन अब राजनीतिक भवन बन गया है।"
अपेक्षा की जा रही है कि राजभवन के न्योते पर आजमगढ़ से लोकसभा सांसद और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव, रायबरेली से सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, अमेठी से सांसद और कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी राजभवन पहुंचकर नाईक के साथ सूबे के विकास को लेकर चर्चा करेंगे।
इन सारे दिग्गजों के अलावा बनारस संसदीय सीट से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या मोदी खुद राजभवन आते हैं या नहीं।
राजभवन के प्रवक्ता के मुताबिक, राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के विकास पर विचार-विनिमय के लिए उत्तर प्रदेश से लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्यों (सांसदों) को आमंत्रित किया है।
प्रवक्ता ने बताया, "उन्होंने सभी सांसदों को पत्र लिखा है कि एक साल की कार्यावधि में राजभवन में आप महानुभावों से मुलाकात नहीं हो सकी है। आप महानुभावों से मुलाकात कर मुझे प्रसन्नता होगी और राज्य के विकास के लिए सार्थक वार्तालाप भी हो सकेगा।"
राजभवन के प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि राज्यपाल ने ऐसे सभी सांसदों को पत्र भेजा है, जिनसे अभी तक उनकी भेंट नहीं हो सकी है। राज्यपाल द्वारा भेजे गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि उनके एक वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने राज्य के अनेक जिलों का दौरा कर वहां के सामाजिक परिवेश तथा समस्याओं को जानने एवं समझने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा है कि प्रदेश से संबंधित समस्याओं के बारे में राज्य सरकार से वार्ता भी करते रहे हैं और समय-समय पर सुझाव भी देते हैं।
नाईक ने अपने पत्र में कहा है, "वे राज्य के 25 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के कारण राज्य विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता सुधारने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। संसद सदस्य अपने संसदीय क्षेत्र के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों से संबंधित समस्याओं से अवगत करा सकते हैं। जनप्रतिनिधि के तौर पर काम करते हुए उनके संसदीय क्षेत्र की राज्य सरकार से संबंधित परियोजनाओं व विकास कायरें के लिए उनके सुझाव स्वागत योग्य हैं।"