• यादव सिंह के ठिकानों पर सीबीआई का छापा, कोठी सीज

    नोएडा प्राधिकरण के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी जांच शुरू कर दी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा व आगरा में यादव सिंह से जुड़े करीब 14 ठिकानों पर छापेमारी कर तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए और नोएडा स्थित उनकी कोठी को सीज कर लिया। ...

    लखनऊ /नोएडा। नोएडा प्राधिकरण के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी जांच शुरू कर दी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा व आगरा में यादव सिंह से जुड़े करीब 14 ठिकानों पर छापेमारी कर तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए और नोएडा स्थित उनकी कोठी को सीज कर लिया। सीबीआई ने यादव सिंह के अलावा उनके बेटे, बेटी, पत्नी और पार्टनर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

    सीबीआई ने मंगलवार सुबह ही नोएडा में छापा मारने के बाद यादव सिंह से जुड़ी कई फाइलें जब्त की हैं। सेक्टर-51 में यादव सिंह की ए-10 कोठी को सीबीआई ने सीज कर दिया। छापे के दौरान यादव सिंह के आवास पर कोई नहीं मिला। बताया जाता है कि उनके परिवार के सभी लोग फरार हो गए।

    सीबीआई की टीमों ने यादव सिंह के आगरा के पैतृक निवास, फिरोजाबाद में ससुराल के साथ लखनऊ में दामाद आईएएस अधिकारी शशि भूषण लाल सुशील के घर पर भी छापा मारा। शशि भूषण उत्तर प्रदेश शासन में विशेष सचिव (उप्र पुनर्गठन समन्वय विभाग) में हैं। वह लखनऊ की बटलर पैलेस कालोनी के मकान नंबर सी-21 में रहते हैं।

    आगरा स्थित यादव सिंह के पैतृक आवास पर पहुंची सीबीआई की टीम को वहां ताला लटका मिला। सीबीआई की टीम ने ताला खोलने के लिए एक मैकेनिक बुलाया, लेकिन जब वह ताला नहीं खोल सका तो दूसरा मैकेनिक बुलाया गया। सीबीआई की टीम ने यादव सिंह के आगरा स्थित मकान से कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं।


    सीबीआई ने यादव सिंह के मामले में दो एफआईआर दर्ज की है। एक में सिर्फ यादव सिंह को नामजद किया गया है, जबकि दूसरी एफआईआर में यादव सिंह के साथ उनकी पत्नी कुसुमलता, बेटे सनी यादव सिंह, बेटी गरिमा भूषण तथा बिजनेस पार्टनर राजेंद्र मनोचा को भी नामजद किया गया है।

    गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता डॉ़ नूतन ठाकुर की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यादव सिंह की अवैध संपत्ति मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण में मुख्य अभियंता के पद पर कार्यरत थे। अदालत के आदेश के बीस दिन बाद सीबीआई ने छापेमारी की है।

    यादव सिंह पर आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण में तैनाती का फायदा उठाते हुए उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट आवंटित करा देते थे। बाद में इन्हीं प्लॉट को वह बिल्डरों को काफी ऊंचे दाम में बेच देते थे।

    उल्लेखनीय है कि नोएडा प्राधिकरण समेत तीन प्राधिकरणों के प्रमुख रहे इंजीनियर यादव सिंह के घर पड़े इनकम टैक्स के छापे में गाड़ी से 10 करोड़ रुपये नकद मिले थे। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये कीमत के हीरे के गहने जब्त किए गए थे।

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