• बिना इस्तीफे के संसद में चर्चा का सवाल नहीं : कांग्रेस

    नई दिल्ली। सदन में गतिरोध को देखते हुए जहां एक ओर पीएम आज सदन में बयान दे सकते हैं वहीं कांग्रेस भी आज अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सदन में गतिरोध कायम रहेगा। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि पार्टी सरकार के रवैये के खिलाफ अपना रोष जारी रखेगी। इस बैठक में शामिल पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मांगों पर कायम रहने की बात कही है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार को पूरी तरह से विफल करार देते हुए कहा कि अभी तक सरकार की ओर से सिर्फ वादे ही किए जा रहे हैं इसके अलावा सरकार ने कुछ नहीं किया है।...

    नई दिल्ली। सदन में गतिरोध को देखते हुए जहां एक ओर पीएम आज सदन में बयान दे सकते हैं वहीं कांग्रेस भी आज अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सदन में गतिरोध कायम रहेगा। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि पार्टी सरकार के रवैये के खिलाफ अपना रोष जारी रखेगी। इस बैठक में शामिल पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मांगों पर कायम रहने की बात कही है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार को पूरी तरह से विफल करार देते हुए कहा कि अभी तक सरकार की ओर से सिर्फ वादे ही किए जा रहे हैं इसके अलावा सरकार ने कुछ नहीं किया है। वह सिर्फ वादों की झड़ी लगाती जा रही है और उनकी मार्केटिंग कर रही है। उन्होंने सरकार की नीतियों को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि किसान भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ हैं और सरकार इसे लाना चाहती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को मिले जनाधार का अर्थ यह नहीं है कि वह अपनी जवाबदेही से बच सकती है। उन्होंने बैठक में एक बार फिर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग दोहराई। बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा है कि वह करप्शन पर मंत्रियों का इस्तीफा चाहती है, इससे कम में वह नहीं मानने वाली। सदन में गतिरोध पर अपनी प्रतिक्रिया को सही बताते हुए उनका कहना था कि यूपीए काल में एनडीए ने विपक्ष में रहते हुए यही दांव अपनाया था, अब हम भी यही कर रहे हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है। सोनिया का कहना था कि सरकार अपनी बातों को अब भूल गई है। विपक्ष में रहते हुए भाजपा कहती थी कि पहले इस्तीफा बाद में चर्चा। उन्होंने सदन में जारी गतिरोध के लिए सरकार को ही आड़े हाथों लिया और कहा कि कल तक चर्चा से पहले इस्तीफे को लेकर शोर मचाने वाली आज दूसरे सुर में अलाप रही है।   


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