नई दिल्ली ! कार, घर और व्यक्तिगत ऋण की किश्तों में कमी आने की उम्मीद लगाये लोगों को इसके लिए अभी और इंतजार करना पड सकता है क्योंकि रिजर्व बैंक के चार अगस्त को चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों में कमी करने की संभावना नहीं है। अधिकांश वित्तीय संस्थान और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि थोक महंगाई में नरमी जारी रहने के बावजूद इस वर्ष जून में खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी होने तथा अब मानसून के दौरान औसत से कम बारिश होने से आगे महंगाई बढऩे का खतरा हो सकता है।
इसके मद्देनजर रिजर्व बैंक से फिलहाल ब्याज दरों में कमी की उम्मीद नहीं की जा सकती है लेकिन अगले वर्ष के प्रारंभ में वह इसमें आधी फीसदी तक की कटौती कर सकता है।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल ङ्क्षलच ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कमजोर मानसून से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों को यथावत बनाये रखने का दबाव बना है। उसने कहा कि दलहन, तिलहन और कपास की खेती करने वाला पश्चिम और दक्षिण भारत मानसून के दौरान बारिश होने के बावजूद सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। उसने कहा कि यदि अगले दो सप्ताह में बारिश में तेजी नहीं आती है तो महंगाई बढऩे का खतरा भी बढ़ सकता है। उसने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के छह फीसदी लक्ष्य से नीचे रहेगा और थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई के अक्टूबर तक ऋणात्मक रहने का अनुमान है। कमजोर बारिश की वजह से रिजर्व बैंक की चार अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत बनाये रखने की उम्मीद है और वह अगले वर्ष के प्रारंभ में इसमें आधी फीसदी की कटौती कर सकता है। हालांकि उसने उम्मीद जतायी है कि गवर्नर रघुराम राजन महंगाई के लगातार नियंत्रण में बने रहने पर किसी भी समय ब्याज दरो में कटौती के विकल्प खुले रख सकते हैं। वित्तीय सेवायें देने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी डीबीएस का मानना है कि रिजर्व बैंक 04 अगस्त को घोषित की जाने वाली ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा में अल्पकालिक ब्याज दरों में संभवत: कोई बदलाव नहीं करेगा। उसने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि रिजर्व बैंक रैपो दर 7.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रख सकता है। बैंक की निगाह अमेरिका के फेडरल रिजर्व की इस सप्ताह होने वाली बैठक के नतीजों पर भी रहेगी।