• हल्दी, देवदार की छाल और हरी चाय से बालों की दवा का पेटेंट रोका भारत ने

    नयी दिल्ली ! भारत ने एक ब्रिटिश कंपनी द्वारा हल्दी, देवदार की छाल और चाय की हरी पत्ती से बालों का झड़ना रोकने के भारत के पारंपरिक चिकित्सा उपाय को पेटेंट कराने के प्रयास काे सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया है।...

    नयी दिल्ली !  भारत ने एक ब्रिटिश कंपनी द्वारा हल्दी, देवदार की छाल और चाय की हरी पत्ती से बालों का झड़ना रोकने के भारत के पारंपरिक चिकित्सा उपाय को पेटेंट कराने के प्रयास काे सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार यूरोप की अग्रणी त्वचा रोग प्रयोगशाला -पानगिया लेबोरेटरीज़ लिमिटेड ने बालों को झड़ने से रोकने के लिये हल्दी, देवदार की छाल और चाय की हरी पत्ती के मिश्रण का पेटेंट कराने का प्रयास किया था जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की इकाई पारंपरिक ज्ञान डिजीटल पुस्तकालय ने नाकाम कर दिया। भारत अब तक ऐसे करीब दो सौ प्रयासों को नाकाम कर चुका है जिनमें भारतीय आयुर्वेदिक पद्धतियों एवं चिकित्सा विधियों को हथियाने की कोशिश की गयी थी। यहाँ मिली जानकारी के अनुसार पारंपरिक ज्ञान डिजीटल पुस्तकालय ने पाया कि यूरोपीय पेटेंट कार्यालय में मेसर्स पानगिया लेबोरेटरीज़ लिमिटेड ने इस विधि पर पेटेंट का आवेदन किया है। पुस्तकालय ने यूरोपीय पेटेंट कार्यालय को तत्काल पेटेंट पूर्व विरोध पत्र लिखा और ऐसे साक्ष्य भेजे जिनसे साबित होता है कि भारत में आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में हल्दी, देवदार की छाल और चाय की हरी पत्तियों का बालों के झड़ने के उपचार में प्रयोग होता रहा है। यह आवेदन फरवरी 2011 में किया गया था। पारंपरिक ज्ञान डिजीटल पुस्तकालय ने पेटेंट आवेदन के वेबसाइट पर प्रकाशन के बाद 13 जनवरी 2014 को यूरोपीय पेटेंट कार्यालय को साक्ष्य मुहैया कराये थे। इसके बाद 29 जून 2015 को ब्रिटिश कंपनी ने अपना आवेदन वापस ले लिया। पारंपरिक ज्ञान डिजीटल पुस्तकालय ने हाल ही में बहुराष्ट्रीय कंपनी कोलगेट पामोलिव द्वारा जायफल पर आधारित एक मुखप्रक्षालन (माउथवॉश) फॉर्मूला पेटेंट कराने के प्रयास को नाकाम किया था। पुस्तकालय की प्रमुख डॉ0 अर्चना शर्मा ने प्राचीन ग्रंथों के उद्धरणों के साथ सिद्ध किया था कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में जायफल से मुख रोगों की चिकित्सा की जाती रही है।


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