• मेक इन इंडिया के तहत बनेंगे 90 मल्टीरोल लड़ाकू विमान

    नयी दिल्ली ! सुरक्षा जरूरतों के लिए 126 मध्यम रेंज के मल्टीरोल लड़ाकू विमानों के लिए भारतीय वायुसेना की ओर से बढ़ रहे दबाव के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय इन विमानों की कमी मेक इन इंडिया के माध्यम से पूरी करने की एक योजना तैयार कर रहा है। रक्षा मंत्रालय इसके लिए आठ साल पहले जारी टेंडर को पहले ही रद्द कर चुका है।...

    नयी दिल्ली !   सुरक्षा जरूरतों के लिए 126 मध्यम रेंज के मल्टीरोल लड़ाकू विमानों के लिए भारतीय वायुसेना की ओर से बढ़ रहे दबाव के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय इन विमानों की कमी मेक इन इंडिया के माध्यम से पूरी करने की एक योजना तैयार कर रहा है। रक्षा मंत्रालय इसके लिए आठ साल पहले जारी टेंडर को पहले ही रद्द कर चुका है। भारत ने फ्रांस सरकार के माध्यम से 36 राफाल युद्धक विमान तुरंत परिचालन के लिए उपलब्धता की दशा में खरीदने का निर्णय करने के बाद टेंडर रद्द किया है। वायुसेना ने सरकार को सूचित किया है कि 36 राफाल विमान पूर्वी और पश्चिमी दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध शुरू होने की दशा में मुकाबले के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने वायुसेना के इस वाजिब आकलन को देखते हुए एक नयी योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत 90 युद्धक विमानों की आवश्यकता को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत निजी और विदेशी साझीदारों की मदद से पूरा किया जाएगा। सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमटेड को शामिल कर एक कंसोर्टियम बनाया जाएगा, जिसमें निजी निर्माता और विदेशी साझीदार शामिल किए जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि नयी रक्षा खरीद प्रक्रिया के आते ही निविदा जारी की जाएगी। विश्व की प्रमुख विमान निर्माता कंपनियों से प्रस्ताव मंगाये जाएंगे, जिनमें रूस का मिग-35 , स्वीडन का ग्रिपिन, उसोल्ट राफेल, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन और बोइंग एफ ए-18 सुपर हॉर्नेट और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं।


    रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ये निविदा प्रस्ताव मल्टीरोल यानी बहुउद्देश्यीय युद्धक विमानों के लिए हैं क्योंकि वायुसेना ने ऐसे बहुउद्देश्यीय विमानों की आवश्यकता जतायी है, जो मध्यम भार वाले होंगे। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा विनिर्माण इकाई की स्थापना के लिए कंसोर्टियम बाजार से पैसा उगाहेगा जबकि सरकार विमान निर्माण के लिए धन मुहैया कराएगी। सूत्रों ने बताया कि फ्रांस की डसोल्ट कंपनी को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने का न्योता दिया जाएगा और स्वाभाविक रूप से उसकी हिस्सेदारी की संभावना प्रबल होगी क्योंकि जब तक यह प्रक्रिया शुरू होगी तब तक राफाल पहले ही वायुसेना का हिस्सा बन चुका होगा। इन 90 विमानों में से 54 विमान एक सीट वाले तथा 36 दो सीटों वाले होंगे । इसके अलावा 45 अन्य विमानों की खरीद का विकल्प भी खुला रखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित कंसोर्टियम को लड़ाकू विमान किसी तीसरे देश को बेचने का अधिकार भी होगा लेकिन उससे पहले भारत सरकार और विदेशी साझीदार की सहमति आवश्यक होगी । सूत्रों का कहना है कि यह नया प्रस्ताव ‘ मेक इन इंडिया ’ के अंतर्गत सबसे महंगा और बड़ा कार्यक्रम होगा। इस पूरी प्रक्रिया की लागत 30 अरब डालर तक हो सकती है।

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