अपने कर्तव्य से पीछे नहींहट रहे अमरनाथ यात्री
श्रीनगर ! अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग पिघल चुका है पर भक्तों की आस्था नहीं पिघली है। इसी से स्पष्ट होता है कि हिमलिंग के पिघलने के बाद भी अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का उत्साह चाहे कम हो गया हो पर वे निरंतर यात्रा में शामिल हो रहे हैं। अब तक कुल 3.12 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हो चुके हैं और हिमलिंग पिघलने के बाद से 12 हजार श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए हैं।जबकि अभी तक 25 श्रद्धालुओं की मौत हुई है जो अमरनाथ यात्रा का सबसे कम मौतों का रिकॉर्ड है। 27 जुलाई की शाम को करीब तीन लाख भक्तों की सांसों की गर्मी से हिमलिंग पिघल गया था। यह पहली बार नहीं था कि अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग इतनी जल्दी पिघला हो।
अभी तक 25 की मौत, 3.12 लाख ने दर्शन किए
हिमलिंग के पिघलने के बाद भी अमरनाथ यात्रा में जुटे श्रद्धालु
पहले भी यह पिघल जाया करता था। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले ही हिमलिंग पिघल चुका होता था। पर हिमलिंग का पिघलना यात्रा पर कोई यादा असर नहीं छोड़ पाया है। यह इसी से स्पष्ट होता है हिमलिंग के पिघलने के बाद यात्रा में 12 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं। हालांकि यह सच्चाई है कि अब यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या लगातार कम होती जा रही है पर उसके लिए हिमलिंग के पिघलने को दोषी नहीं ठहराया जा सकता बल्कि कश्मीर के हालात इसके लिए दोषी ठहराए जा सकते हैं। यह सच है कि अमरनाथ यात्रा समय से पहले ही सिमटनी शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं में जोश तो है, लेकिन संख्या में भारी गिरावट आ गई है। यात्रा का एक महीना 2 अगस्त को होगा। इस बार यात्रा की अवधि 55 दिन की है। ऐसे में काफी पहले से ही श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है। पिछले वर्ष एक महीने में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिमलिंग के दर्शन कर लिए थे। यात्रा के अंतिम दिन तक हिमलिंग था। इस बार बाबा पहले ही अंतर्धान हो गए हैं। यात्रा तीन लाख का आंकड़ा पार कर गई है। देशभर में बाढ़ और यात्रा पंजीकरण के लिए आवश्यक स्वास्थ्य प्रमाणपत्र का असर यात्रा पर पड़ा है। साधुओं की संख्या में इस बार काफी कमी देखी गई। औसतन पिछले वर्ष यहां पर दो सौ से लेकर तीन सौ साधु यात्रा पर जाते थे।