• आतंकवाद के खिलाफ संप्रग सरकार ने की लड़ाई कमजोर: राजनाथ

    नई दिल्ली । गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसकी अगुवाई वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के गृह मंत्री ने ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात कहकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश की थी और आज जो कुछ हो रहा है वह उसी की नीतियों का परिणाम है। सिंह ने गुरदासपुर में गत सोमवार को हुए आतंकवादी हमले के बारे में लोकसभा में बयान देते हुए कहा कि यह सदन ही नहीं पूरा देश उनकी इस बात से सहमत होगा कि आतंकवाद आज देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस मुद्दे पर देश और संसद विभाजित नहीं बल्कि एकजुट दिखनी चाहिए।...

    नई दिल्ली । गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसकी अगुवाई वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के गृह मंत्री ने ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात कहकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश की थी और आज जो कुछ हो रहा है वह उसी की नीतियों का परिणाम है। सिंह ने गुरदासपुर में गत सोमवार को हुए आतंकवादी हमले के बारे में लोकसभा में बयान देते हुए कहा कि यह सदन ही नहीं पूरा देश उनकी इस बात से सहमत होगा कि आतंकवाद आज देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस मुद्दे पर देश और संसद विभाजित नहीं बल्कि एकजुट दिखनी चाहिए। एक तरफ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारे जवान शहीद हो रहे हैं और दूसरी तरफ इस गंभीर मुद्दे के दौरान संसद में शोरशराबा हो, इसे देश स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि इसी सदन में संप्रग सरकार के गृह मंत्री ने हिंदू आतंकवाद की बात की थी ताकि आतंकवादी हमलों की जांच की दिशा बदल दी जाय और देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट न हो सके। उन्होंने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री के इस बयान के लिए पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद ने उन्हें बधाई दी थी। सिंह ने कहा कि आतंकवाद की कोई जाति, पंथ और मजहब नहीं होता। उन्होंने सदन में हंगामा कर रहे कांग्रेसी सदस्यों से सवाल किया कि शर्म अल शेख और हवाना में क्या हुआ था। आज आतंकवाद जिस तरह से चल रहा है यह पिछली सरकार की नरम नीतियों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को वह इस तरह बयां करना चाहते हैं, “चीन छीन देश का गुलाब ले गया, ताशकंद में वतन का लाल सो गया, हम सुबह की शक्ल ही संवारते रहे, जीतने के बाद बाजी हारते रहे।” 

     


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