सपा के वोट बैंक में ओवैसी की सेंध
लखनऊ ! हिंदू विरोधी और भड़काऊ बयानों के लिए कुख्यात पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) उत्तर प्रदेश में अक्टूबर में होने जा रहे पंचायत चुनावों में ताल ठोंकने जा रही है। वह अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। पिछले चुनाव से ही सूबे में अपने पांव पसारने को बेताब ओवैसी को समाजवादी पार्टी के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
इस बात के पुख्ता सुबूत तो नहीं हैं लेकिन माना यह जा रहा है कि सपा के वोटों में बंटवारा कराने के लिए ओवैसी के पीठ पर भाजपा का हाथ है। ओवैसी के लिए यह चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह होगा। इसके जरिए वह यह भी महसूस कर सकेंगे कि 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी के लिए कितने मुफीद साबित होंगे। पंचायत चुनावों में एआईएमआईएम के मैदान में आने की सूचना से उन सभी पार्टियों के भीतर हलचल बढ़ गई है, जो मुस्लिम वोटों का सहारा लेकर चुनाव की वैतरणी पार करने की कोशिशें करती रही हैं। सूबे में मुस्लिम आबादी तकरीबन 19 प्रतिशत है। यहां की एक तिहाई से अधिक सीटों पर मुस्लिम वोटों का असर पड़ता है। इस तबके के वोटर असर भी डालते हैं। एआईएमआईएम के एक नेता की मानें तो पार्टी पंचायत चुनावों में ही यह आजमा लेना चाहती है कि उसके लिए यहां की तासीर कैसी है। पार्टी में यह सोच है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में पंचायत चुनावों में उम्मीदवार उतारे जाएंगे।
दरअसल एआईएमआईएम के नेता ओवैसी लगातार इस कोशिश में थे कि उत्तर प्रदेश में उनके कार्यक्रम हों लेकिन प्रशासनिक अड़ंगेबाजी की वजह से मेरठ, आगरा, इलाहाबाद और आजमगढ़ के कार्यक्रम निरस्त हो गए। महज उन्नाव में वह रोजा अफ्तार करा पाए लेकिन पार्टी इससे निराश नहीं है। पार्टी अपने साथ दलितों को जोडऩे की भी फिराक में है ताकि पिछड़ा और मुस्लिम गठबंधन को चुनौती दी जा सके। पार्टी का मानना है कि पिछड़ा-मुस्लिम गठबंधन की ताकत दलित-मुस्लिम गठबंधन के मुकाबले कम होगी। पार्टी ने फिलहाल 40 से 45 जिलों में अपना संगठन बनाया है। शौकत अली को यहां का संयोजक बनाया गया है। शौकत अली जिलों का दौरा करके संगठन को निचले स्तर तक मजबूत करने में जुटे हुए हैं। सूबे में 10 से 15 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सूत्रों का कहना है कि ओवैसी की पार्टी की सूबे में दस्तक से सपा और बसपा दोनों का बेचैनी हो रही है। कांग्रेस भी किसी स्तर पर प्रभावित हो रही है लेकिन उसकी हालत वैसे भी यहां अच्छी नहीं है इसलिए उसके नेताओं को खास चिंता नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि समाजवादी पार्टी इस पर क्या रुख अपनाती है