• खाता बही अब भी कंप्यूटर को दिखा रही ठेंगा

    व्यापारिक लेखा -जोखा और व्यापारी का खजाना कहे जाने वाले बही खाते में भी समय के साथ बदलाव आ गया। ...

    मोदीनगर !   व्यापारिक लेखा -जोखा और व्यापारी का  खजाना कहे जाने वाले बही खाते में भी समय के साथ बदलाव आ गया। लेकिन कागज की बनी बही पर आज भी विश्वास कायम है। भले ही कम्प्यूटर का जमाना है। सब कुछ ऑनलाइन होता जा रहा है लेकिन शहर के दर्जनों पुराने बड़े व्यापारी आज भी खाता बही पर विश्वास करते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों गाजियाबाद, मेरठ,  मोदीनगर, बागपत सहारनपुर व मुजफ्रनगर में सफेद कागज और लाल रंग के कवर वाली बही चलन में है।दैनिक आय -व्यय और लेखा कॉपी रजिस्टर और डे बुक में लिखे जाते हैं। जबकि फाइनल खतौनी के लिए रोकड बही और रोकड़ खाते इस्तेमाल होते हैं। रोकड ख़ातों में एकल तह वाली पंजाबी रोकड पंजाबी खाता और दोहरे खोल वाली मुडी हुई मूवा रोकड बही आती है। जिसे दोहरा खोला जाता है। 100 पेजो से लेकर 400 पेजों तक की बही बाजार में मिल जाती है। जिसकी कीमत सौ रुपए से लेकर 300 रुपए तक है।  भगवान गंज मंडी में व्यापार करने वाले व्यापारी नेता पवन सिंघल का कहना है कि ई ट्रेडिंग और ऑन लाइन ट्रेडिंग के जमाने में खाता बही पर विश्वास करने का मुख्य क ारण बही में लेखा -जोखा का स्थायित्व है। कम्प्यूटर में लेखों की सुरक्षा नहीं रहती। वायरस आ जाने पर या किसी अन्य कारण से सब कुछ नष्ट हो जाता है। जबकि बही में एक बार का लिखा हुआ वर्षों तक बना रहता है। उधमी व व्यापारी नेता मुन्नु अग्रवाल का कहना है कि कम्प्यूटर के लेखा -जोखा में आसानी से हेरा -फेरी की जा सकती है। जबकि लेखा बही में मामूली सी ओवर राइटिंग भी गड़बडी क़ा संकेत दे देती है। बदलते समय के साथ ही लेखा बही भी  हाइटेक हुई है। साथ ही रंग में भी बदलाव होने लगा है।


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