• राविप्रा की कमल विहार योजना को झटका

    रायपुर ! रायपुर विकास प्राधिकरण 1600 एकड़ भूमि में कमल विहार के नाम से एक अत्याधुनिक आवासीय योजना तैयार कर रहा है। इसके लिए सैकड़ों किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है, लेकिन कई भू-स्वामी अपनी जमीन राविप्रा को देने से इंकार कर रहे हैं।...

    चार भूस्वामियों को जमीन लौटाने सुप्रीम कोर्ट के आदेश रायपुर !   रायपुर विकास प्राधिकरण 1600 एकड़ भूमि में कमल विहार के नाम से एक अत्याधुनिक आवासीय योजना तैयार कर रहा है। इसके लिए सैकड़ों किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है, लेकिन कई भू-स्वामी अपनी जमीन राविप्रा को देने से इंकार कर रहे हैं। इस कड़ी में 4 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर राविप्रा की योजना से अपनी जमीन को मुक्त करने की मांग न्यायालय से की थी। जिस पर आज कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राविप्रा को आदेशित किया है कि उक्त भूस्वामियों की भूमि योजना से अलग रखी जाए। शुरू से ही विवादों में रही राविप्रा की कमल विहार योजना को आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है। रायपुर से सटे 4 ग्रामों में 1600 एकड़ भूमि पर राविप्रा कमल विहार आवासीय योजना का निर्माण कर रहा है। इस योजना में शामिल नहीं होने सैकड़ों लोगों ने आपत्ति लगाई थी एवं कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने राविप्रा के पक्ष में निर्णय दिया था, जिसके बाद राविप्रा ने जोर-शोर से काम शुरू कर दिया। प्रभावितों में से 4 लोगों ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इनमें प्रकाश दावड़ा की रामकृष्ण अस्पताल के पास 13 एकड़ एवं हाईवे से लगे सेक्टर 14-15 में रोहित शुक्ला की 9 एकड़, लक्ष्मणदास क्षत्रिय की 7 एकड़ एवं विजय राजानी की 1 एकड़ मिलाकर कुल 30 एकड़ भूमि को राविप्रा की योजना से अलग रखने एवं योजना को रद्द करने याचिका वर्ष 2009 में लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिए हैं, पक्षकारों की जमीन को कमल विहार योजना से अलग रखा जाए। पक्षकारों का तर्क था कि उनकी जमीन कीमती है एवं राविप्रा अपनी शर्तों पर भूमि अधिग्रहित कर रहा है, जो न्याय संगत नहीं है। सुको के इस फैसले से योजना को जहां बड़ा झटका लगा है वहीं आने वाले समय में मुसीबतें और बढ़ सकती हंै। पुनर्विचार याचिका लगाएगा राविप्रा : सीईओ राविप्रा के सीईओ महादेव कांवरे ने इस संबंध में बताया कि उक्त भूस्वामियों की जमीनें अलग हैं। राविप्रा 1600 एकड़ भूमि में योजना का निर्माण कर रहा है। उक्त 30 एकड़ भूमि से योजना में फर्क नहीं पड़ेगा। न्यायालय से आदेश की कापी मिलने के बाद विभागीय वकील अध्ययन कर पुनर्विचार याचिका राविप्रा की ओर से लगाएंगे।


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