• वकीलों की याचिका : खुली अदालत में तड़के ढाई बजे सुनवाई

    नयी दिल्ली ! 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी को फांसी से बचाने आधी रात को उच्चतम न्यायालय पहुंचे वकीलों के समूह की याचिका पर तड़के ढाई बजे खुली अदालत में होगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा डेथ वारंट के खिलाफ याकूब की अपील खारिज किये जाने और फिर शाम को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा नयी दया याचिका खारिज किये जाने के बाद जाने माने वकील प्रशांत भूषण सहित 12 वकीलों ने देर रात को मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू के घर जाकर याकूब को बचाने का एक और प्रयास किया।...

    नयी दिल्ली !   1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी को फांसी से बचाने आधी रात को उच्चतम न्यायालय पहुंचे वकीलों के समूह की याचिका पर तड़के ढाई बजे खुली अदालत में होगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा डेथ वारंट के खिलाफ याकूब की अपील खारिज किये जाने और फिर शाम को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा नयी दया याचिका खारिज किये जाने के बाद जाने माने वकील प्रशांत भूषण सहित 12 वकीलों ने देर रात को मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू के घर जाकर याकूब को बचाने का एक और प्रयास किया। न्यायमूर्ति दत्तू ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ को यह जिम्मा दिया और रात को ही सुनवाई करने की सलाह दी। सभी वकील जब न्यायमूर्ति मिश्रा के घर पहुंचे तो उन्होंने घर पर याचिका सुनन के बजाय सुप्रीम कोर्ट की खुली अदालत में तड़के ढाई बजे सुनवाई करने का निर्णय किया। इसके बाद सभी वकील सुप्रीम कोर्ट की ओर रवाना हो गए। याकूब का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर द्वारा रखे जाने की उम्मीद है, जबकि खंडपीठ के अन्य सदस्य होंगे- न्यायमूर्ति पी सी पंत एवं न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय। इसी खंडपीठ ने बुधवार को डेथ वारंट के खिलाफ याकूब की अपील खारिज की थी। वकीलों का यह समूह याकूब की फांसी कम से कम 14 दिन और टालने का आग्रह न्यायालय से कर रहा है। इनकी दलील है कि दया याचिका खारिज किये जाने और फांसी दिये जाने के बीच कम से कम 14 दिन का समय दिया जाना चाहिए।


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