• याकूब मेमन ने फिर की राष्ट्रपति से दया की अपील, एससी में सुनवाई जारी

    नई दिल्ली । 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी को लेकर असमंजस बरकरार है। अभी मेमन की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में सुनवाई चल रही है। उधर, याकूब मेमन ने आज फिर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दया की अपील की है। इसके लिए याकूब ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है।30 जुलाई की तय तिथि पर फांसी देने को लेकर कल सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसला सुनाया था, जिसके बाद आज मेमन की फांसी को लेकर बड़ी बेंच में सुनवाई चल रही है। उधर, वरिष्ठ वकील माजिद मेमन ने कहा कि अगर याकूब मेमन को फांसी हो जाती है जिसके लिए उसने 22 साल इंतजार किया, इसके लिए कुछ दिन और इंतजार करना पड़े तो कोई आसमान नहीं टूट जाएगा। ...

    नई दिल्ली । 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी को लेकर असमंजस बरकरार है। अभी मेमन की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में सुनवाई चल रही है। उधर, याकूब मेमन ने आज फिर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दया की अपील की है। इसके लिए याकूब ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है।30 जुलाई की तय तिथि पर फांसी देने को लेकर कल सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसला सुनाया था, जिसके बाद आज मेमन की फांसी को लेकर बड़ी बेंच में सुनवाई चल रही है। उधर, वरिष्ठ वकील माजिद मेमन ने कहा कि अगर याकूब मेमन को फांसी हो जाती है जिसके लिए उसने 22 साल इंतजार किया, इसके लिए कुछ दिन और इंतजार करना पड़े तो कोई आसमान नहीं टूट जाएगा। जस्टिस एआर दवे ने डेथ वारंट रद करने की याकूब की मांग खारिज करते हुए मौत के फरमान को हरी झंडी दे दी। दूसरी तरफ, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने याकूब की क्यूरेटिव याचिका निपटाने की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण ठहरा दिया। दोनों जजों में मतभिन्नता होने से पीठ ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश करने का निर्देश दिया। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने तीन न्यायाधीशों की नई पीठ का गठन कर दिया। अब न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, प्रफुल्ल पंत और अमिताव रॉय की पीठ आज साढ़े दस बजे इस मामले पर सुनवाई करेगी। न्यायाधीशों में एकराय न होने से फिलहाल याकूब की फांसी पर रोक नहीं है और मौत से उसकी नजदीकी मिनट-दर-मिनट बढ़ती जा रही है। याकूब के वकील ने कल क्यूरेटिव के निपटारे को चुनौती देते हुए एक नई रिट याचिका पेश कर दी। इस पर भी दोनों जजों के विचार अलग-अलग थे। भूल गए 257 लोगों की मौत अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याकूब की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी आदेश को रिट याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती। क्यूरेटिव के निपटारे में कोई खामी नहीं है। यह नहीं भूलना चाहिए कि यह मामला आतंकवाद से जुड़ा है। मुंबई धमाकों में 257 लोग मारे गए थे। 20 साल में उनकी मौतें भुला दी गई हैं। वे एक फोटो फ्रेम में जड़ी तस्वीरें बन गए हैं। कोई उनकी बात नहीं कर रहा है।  


अपनी राय दें