• देश ने खो दिया एक अनमोल रत्न-डा. रमन

    रायपुर ! छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि ’भारत रत्न’ से सम्मानित स्वर्गीय डॉ. कलाम देश के एक महान वैज्ञानिक और प्रखर चिन्तक थे। ...

    रायपुर !   छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि ’भारत रत्न’ से सम्मानित स्वर्गीय डॉ. कलाम देश के एक महान वैज्ञानिक और प्रखर चिन्तक थे। उन्होंने कठिन जीवन संघर्ष के बीच देश के रक्षा वैज्ञानिक बनकर राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद को भी सुशोभित किया। झोपड़ी से जीवन प्रारंभ कर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे। उनका जीवन सादगी और सच्चाई का पर्याय था। देशवासी उन्हें आम जनता के राष्ट्रपति के रूप में हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखते थे।  बच्चों  और युवाओं में वह काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में, एक शोधकर्ता वैज्ञानिक के रूप में और मिसाईल मेन के रूप में देश में अपार लोकप्रियता हासिल की। उनके निधन से देश ने अपना एक अनमोल रत्न हमेशा के लिए खो दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ से डॉ. अब्दुल कलाम का गहरा भावनात्मक संबंध था। नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ की तरक्की उन्हें काफी प्रभावित करती थी। डॉ. रमन सिंह ने इस सिलसिले में राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति के रूप में डॉ. अब्दुल कलाम की समय-समय पर हुए छत्तीसगढ़ प्रवास को भी याद किया है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में डॉ. कलाम ने 28 जनवरी 2004 को रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह में अपना प्रेरणादायक उद्बोधन दिया था। उन्होंने तीन जून 2004 को बस्तर जिले के सरगीपाल का दौरा किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी रायपुर से लगे हुए नया रायपुर में छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति पर आधारित पुरखौती मुक्तांगन हमेशा डॉ. कलाम की याद दिलाता रहेगा। डॉ. कलाम ने वर्ष 2006 में सात नवम्बर को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान राज्योत्सव के अलंकरण समारोह में शामिल हुए थे। उसी दिन उन्होंने पुरखौती मुक्तांगन का लोकार्पण किया था और ग्राम सुन्दरकेरा में वृक्षारोपण समारोह में शामिल होकर ’रतनजोत’ का पौधा भी लगाया था। डॉ. अब्दुल कलाम 22 नवम्बर 2010 को भी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर आए थे, जहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सिकलसेल एनीमिया पर आधारित चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया था और उसी दिन यहां दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के छात्रों के कार्यक्रम में तथा समाज सेवी संस्था ’आकांक्षा’ के प्रांगण में आयोजित मानसिक नि:शक्त बच्चों के पुनर्वास से संबंधित राष्ट्रीय कार्यशाला में भी शामिल हुए थे। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 12 सितम्बर 2013 को भी छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए थे। उन्होंने बेमेतरा में आयोजित जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में 26 सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री ने डॉ. कलाम द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिए गए प्रेरक उद्बोधन को भी याद किया। मुख्यमंत्री के पास सिर्फ 15 दिन पहले आयी थी डॉ. कलाम की चिट्ठी  पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने लगभग 15 दिन पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अपने हाथों से पत्र लिखकर राज्य के युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए अपनी सेवा देने की पेशकश की थी। मुख्यमंत्री ने आज रात अत्यंत भावुक होकर डॉ. कलाम की इस चिट्ठी का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की जनता और विशेष रूप से इस राज्य के युवाओं से डॉ. कलाम का इतना गहरा लगाव था, वह उनके द्वारा मुझे अपने हाथ से 15 दिन पहले लिखी गई चि_ी से पता चलता है। आत्मीयता से परिपूर्ण इस चिट्ठी में उन्होंने मुझे लिखा है कि छत्तीसगढ़ के युवाओं  के कौशल उन्नयन से संबंधित कार्यों के लिए जब कभी मेरी जरूरत होगी, मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. कलाम को छत्तीसगढ़ के लोग हमेशा याद रखेंगे। वह एक ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने राष्ट्रपति भवन को हमेशा आम जनता के लिए खुला रखा। किसानों को वहां आमंत्रित कर उनके साथ बैठकर खेती-किसानी की बातें की। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल से भी वह लगातार जुड़े रहे। एक बार जब वे रायपुर आए थे, तो उन्होंने ’छत्तीसगढ़ के जन-गण के गौरव की जय हो ’ शीर्षक से कविता की भी रचना की थी।


     

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