• 46 लाख जातियों की समीक्षा के बाद सार्वजनिक होगी जातिवार जनगणना

    नयी दिल्ली ! जातिवार जनगणना को सार्वजनिक किए जाने की पुरजोर मांग के बीच सरकार ने आज स्पष्ट किया कि 46 लाख जातियों, उपजातियों, गोत्रों आदि का तर्कसंगत वर्गीकरण करने के बाद जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों को जारी कर दिया जाएगा।...

    नयी दिल्ली !   जातिवार जनगणना को सार्वजनिक किए जाने की पुरजोर मांग के बीच सरकार ने आज स्पष्ट किया कि 46 लाख जातियों, उपजातियों, गोत्रों आदि का तर्कसंगत वर्गीकरण करने के बाद जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों को जारी कर दिया जाएगा। इसके लिए योजना आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मंत्रालय इस समिति के कामकाज में सहयोग करेंगे और समिति के सदस्यों को मनोनीत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस समिति को गठित करने का निर्णय लिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि 19 मई 2011 को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि सामाजिक -आर्थिक जनगणना और जाति आधारित जनगणना भी मूल जनगणना का हिस्सा होगी। उसी बैठक में जनगणना के आंकड़ों का विश्लेषण करने की प्रक्रिया भी तय कर दी गयी थी तथा एक उपसमिति गठित करने का फैसला किया गया था। इसी के तहत आज मंत्रिमंडल की बैठक में श्री पनगढ़िया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का फैसला किया गया। श्री जेटली ने बताया कि सामाजिक- आर्थिक जनगणना के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय को नोडल मंत्रालय बनाया गया था जबकि जातिवार जनगणना के लिए समाज कल्याण मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय को जिम्मेदारी दी गयी थी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने आंकड़े जारी कर दिए है और शहरी विकास मंत्रालय में काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि जातिवार जनगणना के आंकड़ों में 46 लाख जातियों, उपजातियों, गोत्रों और कबीलों का जिक्र है लेकिन कई जातियों के उपनामों को लेकर असमंजस है। इसलिए इन जातियों की समीक्षा की जाएगी और इसके लिए राज्यों से रिपोर्ट मांगी गयी है लेकिन अब तक बहुत कम राज्यों ने रिपोर्ट दी है। उन्होंने कहा कि समिति आंकड़ाें को लेकर तमाम कार्यवाही पूरी करेगी और उपयुक्त समय इन आंकड़ों को जारी किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जातिवार जनगणना को सार्वजनिक करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं और श्री लालू यादव ने इन मामले पर बिहार बंद का भी आह्वान किया है लेकिन सूत्रों के अनुसार बिहार सरकार ने जातिवार जनगणना के आंकड़ों पर अपनी विश्लेषण रिपोर्ट भी अभी तक नहीं भेजी है।


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