• भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दो प्रक्षेपणों के लिए तैयार

    चेन्नई ! भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी 10 जुलाई को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की तैयारियों के बीच एक भारतीय उपग्रह को भी प्रक्षेपित करने की योजना पर काम कर रही है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। भारत 10 जुलाई के बाद एक संचार उपग्रह जीसैट6 का प्रक्षेपण करेगा।...

    चेन्नई !   भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी 10 जुलाई को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की तैयारियों के बीच एक भारतीय उपग्रह को भी प्रक्षेपित करने की योजना पर काम कर रही है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। भारत 10 जुलाई के बाद एक संचार उपग्रह जीसैट6 का प्रक्षेपण करेगा।

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को आईएएनएस से कहा, "10 जुलाई की रात होने वाले रॉकेट प्रक्षेपण का काम सुचारू रूप से जारी है। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट तैयार है। हम अब प्रक्षेपण का रिहर्सल कर रहे हैं।"

    उनके मुताबिक, यहां से 80 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से रात 9.58 बजे एक्सएल संस्करण का चार इंजनों वाला पीएसएलवी रॉकेट उपग्रहों को लेकर रवाना होगा। काउंटडाउन 8 जुलाई को सुबह लगभग 7.28 बजे शुरू हो सकता है।

    अधिकारी ने कहा कि प्रक्षेपण प्राधिकार बोर्ड की बैठक सात जुलाई को होने की संभावना है और पीएसएलवी रॉकेट के प्रक्षेपण पर निर्णय लिया जाएगा।

    पांच उपग्रहों में से तीन एक ही तरह के ऑप्टिकल अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह हैं, जिनका वजन 447 किलोग्राम है। इन्हें 647 किलोमीटर के सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।


    अन्य दो उपग्रह सीबीएनटी-1 हैं, जिनका वजन 91 किलोग्राम है और ये भी ऑप्टिकल अर्थ ऑब्जर्वेशन टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन माइक्रो सेटेलाइट हैं।

    तीन डीएमसी3 तथा सीबीएनटी-1 उपग्रहों का निर्माण सरे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड द्वारा किया गया है। डे-ऑर्बिटसेल का निर्माण सरे स्पेस सेंटर द्वारा किया गया है।

    अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि जीसैट6 संचार उपग्रह बेंगलुरू से श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र 6 जुलाई को पहुंचने की संभावना है।

    उन्होंने कहा कि जीसैट6 संचार उपग्रह को अंतरिक्ष में एक भारी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी) के सहारे स्थापित किया जाएगा।

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