• बलात्कार पीड़िता के उम्र निर्धारण में दस्तावेज को मिले प्राथमिकता

    नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि किसी बलात्कार पीड़िता की उम्र का निर्धारण के लिए चिकित्सीय उपायों का इस्तेमाल तभी किया जाना चाहिए जब जन्म संबंधी दस्तावेज उपलब्ध न हों।...

    नयी दिल्ली !  उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि किसी बलात्कार पीड़िता की उम्र का निर्धारण के लिए चिकित्सीय उपायों का इस्तेमाल तभी किया जाना चाहिए जब जन्म संबंधी दस्तावेज उपलब्ध न हों। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील मंजूर करते हुए यह व्यवस्था दी। न्यायालय ने कहा कि बलात्कार पीड़िता की उम्र के निर्धारण के लिए स्कूल प्रमाण पत्र या जन्म प्रमाण पत्र को ज्यादा तरजीह दी जानी चाहिए। अस्थि संबंधी जांच (ऑसिफिकेशन) या अन्य चिकित्सीय परीक्षणों को अंतिम विकल्प के तौर पर तभी इस्तेमाल किया जाना चाहिए जब जन्म प्रमाण संबंधी दस्तावेज उपलब्ध न हो। न्यायालय ने उच्च न्यायालय का फैसला रद्द करते हुए निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा, जिसने बलात्कार के वक्त पीड़िता को नाबालिग करार दिया था। उच्च न्यायालय ने संदेह का लाभ देकर आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया था। शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह आरोपी व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई जेल की सजा काटने के लिए गिरफ्तार करे।


अपनी राय दें