• ओलंपिक से ही कंगाल हो गया ओलंपिक का जनक

    नयी दिल्ली ! दुनिया को ओलंपिक से परिचित कराने वाले यूरोपीय देश यूनान को वर्ष 2004 में इस खेल महाकुंभ की मेजबानी बहुत महंगी पड़ी जिसके कारण वह आज कंगाली के करार पर है।पश्चिमी सभ्यता की जन्मस्थली माने जाने वाले यूनान में प्राचीन समय में हर चार साल में ओलंपिक खेलों का आयोजन होता था!...

    नयी दिल्ली !  दुनिया को ओलंपिक से परिचित कराने वाले यूरोपीय देश यूनान को वर्ष 2004 में इस खेल महाकुंभ की मेजबानी बहुत महंगी पड़ी जिसके कारण वह आज कंगाली के करार पर है। पश्चिमी सभ्यता की जन्मस्थली माने जाने वाले यूनान में प्राचीन समय में हर चार साल में ओलंपिक खेलों का आयोजन होता था। इसकी शुरुआत 776 ईसा पूर्व में हुई थी। ईसा पूर्व पांचवीं तथा छठी शताब्दी में ये खेल अपने चरम पर थे लेकिन यूनान पर रोमनों के अधिपत्य के बाद इन खेलों की महत्ता धीरे-धीरे समाप्त हो गयी। इसके बाद पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन भी यूनान की राजधानी एथेंस में ही वर्ष 1896 में हुआ था जिसमें 14 देशों के 241 खिलाड़ियों ने 43 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। यूनान ने आधुनिक ओलंपिक के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 1996 में इन खेलों की मेजबानी हासिल करने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें नाकाम रहा। वर्ष 2004 में यूनान को ओलंपिक की मेजबानी मिली। इन खेलों के आयोजन के लिए उसने भारी कर्ज लिया था और उसके बाद से ही देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गयी। यूनान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का करीब 114 अरब रुपए का कर्ज नहीं चुकाने के कारण डिफाल्टर घोषित किया गया है और अब उस पर यूरोजोन से भी बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है। यूनान ने 2004 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी पर करीब 11 अरब डॉलर खर्च किए थे। इन खेलों में 201 देशों के दस हजार से अधिक खिलाड़ियों ने 28 खेलों की 301 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था। ओलंपिक की मेजबानी से तब यूनानवासी गर्व से फूले नहीं समा रहे थे लेकिन आज यही आयोजन देश में रोष की वजह बन गया है। पिछले कई वर्षों से देश मंदी, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहा है। ओलंपिक खेलों के लिए तैयार किए गए स्टेडियमों से कोई कमाई नहीं हुई। यूनान को 2004 के खेलों की मेजबानी 1997 में मिली थी और उसके पास तैयारी के लिए सात साल का समय था। लेकिन उसने पहले तीन साल यूं ही गंवा दिए। साल 2000 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने उसे चेतावनी दी कि अगर यही हाल रहा तो उसे ओलंपिक की मेजबानी से हाथ धोना पड़ेगा। खेल स्थलों को समय पर तैयार कराने के लिए अनाप शनाप मजदूरी दी गयी। इन खेलों के आयोजन पर शुरुआत में करीब साढ़े पांच अरब डॉलर के खर्च का अनुमान था जो बाद में दोगुना हो गया। दूसरे मेजबान शहरों में जहां अस्थायी ढांचे तैयार किए गए वहीं एथेंस में बड़ी इमारतों का निर्माण किया गया जिससे केवल ठेकेदारों का ही भला हुआ और देश की आर्थिक हालत बिगड़ती गयी।


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