• अंबिका, शैलजा की याचिका पर फैसला सुरक्षित

    नई दिल्ली ! दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार के उस आदेश को न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें राष्ट्रीय राजधानी स्थित सरकारी बंगला खाली करने को कहा गया था।...

    नई दिल्ली !  दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार के उस आदेश को न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें राष्ट्रीय राजधानी स्थित सरकारी बंगला खाली करने को कहा गया था। न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने दोनों कांग्रेसी नेताओं और सरकारी वकील की दलीलों के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अंबिका सोनी और शैलजा क्रमश: 22 अशोक रोड और 7 मोतीलाल नेहरू मार्ग में रहती हैं। श्रेणी आठ के ये बंगले उन्हें संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार) में मंत्री रहते हुए आवंटित किए गए थे। जून में केंद्र सरकार के बेदखली के आदेश के खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसके बाद केंद्र के आदेश पर रोक लगा दी गई थी। अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा मौजूदा समय में राज्यसभा सदस्य हैं। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ दुर्भावना रखने का आरोप लगाया। सरकार ने उनसे श्रेणी आठ के बंगलों से श्रेणी छह के घरों में स्थानांतरित होने के लिए कहा था। उनके वकील ने कहा कि उन्हें जारी किए गए पत्र के मुताबिक कांग्रेस के सांसद संसद की सदस्यता समाप्त होने के एक माह बाद तक अथवा सेवानिवृत्त होने तक इन बंगलों में रह सकते हैं। वकील ने कहा, "बेदखली आदेश संसद में विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ सत्ता पक्ष की दुर्भावना के चलते जारी किया गया है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों सांसदों को राज्यसभा के हिस्से के तहत दिया गया था, और इसमें शहरी विकास मंत्रालय का हस्तक्षेप करने की कोई भूमिका नहीं है।" केंद्र सरकार ने न्यायालय को बताया कि सामान्य पूल में आवासों की अत्यधिक कमी है और सांसद टाइप-आठ के बंगलों में रहने के हकदार नहीं हैं। सरकार ने कहा, "हमारे चार केंद्रीय मंत्रियों के पास श्रेणी आठ का बंगला नहीं है और वे श्रेणी छह के बंगले में रह रहे हैं।"


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