• सात जुलाई से होगी ब्रिक्स विकास बैंक की शुरूआत

    मॉस्को ! पहली जुलाई को चीन ने ब्रिक्स विकास बैंक के निर्माण के बारे में किए गए समझौते की आधिकारिक रूप से पुष्टि कर दी। इससे पहले रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिणी कोरिया भी इस समझौते की पुष्टि कर चुके हैं। अगले सप्ताह सात जुलाई को मॉस्को में ब्रिक्स विकास बैंक के संचालकों की पहली बैठक में इस बैंक का कामकाज शुरू हो जाएगा।...

    विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एकाधिकार और प्रभुत्व होंगे खत्म मॉस्को !   पहली जुलाई को चीन ने ब्रिक्स विकास बैंक के निर्माण के बारे में किए गए समझौते की आधिकारिक रूप से पुष्टि कर दी। इससे पहले रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिणी कोरिया भी इस समझौते की पुष्टि कर चुके हैं।  अगले सप्ताह सात जुलाई को मॉस्को में ब्रिक्स विकास बैंक के संचालकों की पहली बैठक में इस बैंक का कामकाज शुरू हो जाएगा। ब्रिक्स विकास बैंक के निर्माण का उद्देश्य सबसे पहले अन्य देशों की ढांचागत परियोजनाओं के लिए वित्त उपलब्ध कराना है। इस तरह ब्रिक्स-दल के सदस्य देश विदेशों में अपने हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसलिए चीन ने ब्रिक्स विकास बैंक के निर्माण के बारे में किए गए इस समझौते की जो पुष्टि की है, यह काम सिर्फ चीन के आर्थिक हितों को ही बढ़ावा देने के लिए नहीं किया गया है। वित्तीय कदम के साथ-साथ यह एक राजनीतिक कदम भी है क्योंकि चीन आर्थिक सम्बन्धों में और राजनीतिक दृष्टि से भी अपनी दिशा बदलने की कोशिश कर रहा है। कहना चाहिए कि इस तरह से वैकल्पिक आर्थिक केन्द्रों का निर्माण किया जा रहा है। चीन ने आज जो निर्णय लिया है, वह विश्व बैंक और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एकाधिकार और प्रभुत्व को ख़त्म करेगा, जिनमें अमरीका और यूरोसंघ का आधिपत्य है। ब्रिक्स-दल विभिन्न परियोजनाओं में वित्तीय निवेश करने और विकास करने के लिए एक विकल्प प्रस्तुत करना चाहता है। इस तरह बहुध्रुवीय दुनिया के विचार पर भी अमल किया जा रहा है। इस बैंक के बनने से ही एकाधिपत्य खत्म हो जाएगा और ताकत का केन्द्र बदलने की शुरूआत हो जाएगी। चीन के ब्रिक्स अध्ययन केन्द्र के विशेषज्ञ झेन युआनझे ने ब्रिक्स विकास बैंक में चीन की दिलचस्पी के बारे में चर्चा करते हुए कहा -- मुझे लगता है कि ब्रिक्स विकास बैंक की गतिविधियां आर्थिक रूप से बड़ी प्रभावशाली होंगी।  इस बैंक के निर्माण के आर्थिक उद्देश्य स्पष्ट हैं। ब्रिक्स-दल के सदस्य देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विकास हो रहा है, लेकिन फिर भी आर्थिक पहलू ही सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि ब्रिक्स-दल विकासशील देशों का और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधि है और उसकी वजह से विश्व समुदाय के बीच इन देशों का मताधिकार भी और ज्यादा मजबूत होगा, उनकी आवाज और ज्यादा तेज होगी। ब्रिक्स विकास बैंक ब्रिक्स-दल के सदस्य देशों और अन्य विकासशील देशों के बीच पारस्परिक आर्थिक सहयोग के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करेगा।   

    रूस का प्रतिनिधि बैंक के प्रबंध-परिषद का पहला अध्यक्ष होगा। बैंक के निदेशक-मण्डल का पहला अध्यक्ष ब्राजील का प्रतिनिधि होगा। और भारत का प्रतिनिधि बैंक का पहला अध्यक्ष होगा। बैंक का मुख्यालय चीन के शंगहाई शहर में होगा और मुख्यालय के अलावा उसका एक क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिणी अफ्रीका में भी होगा। बैंक का यह सुव्यवस्थित ढाँचा यह दिखाता है कि बैंक के सभी संस्थापकों के हितों का ख्याल रखा गया है और उसकी संचालन व्यवस्था में सभी के समानाधिकारों की गारण्टी की गई है। एशियाई ढाँचागत निवेश बैंक की तरह ही ब्रिक्स विकास बैंक में भी चीन की सबसे प्रमुख भूमिका होगी। इसका कारण यह है कि चीन ने सारी दुनिया को यह दिखा दिया है कि उसकी सभी पहलें धनागमन से जुड़ी होती हैं। एक और बात यह भी है कि जितनी भी वित्तीय संस्थाएं बनाई जा रही हैं, उन सभी में चीन की वित्तीय हिस्सेदारी सबसे ज़्यादा है, जिसके कारण इन वित्तीय संस्थाओं के संचालन में भी उसकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए। इन वित्तीय संस्थाओं का गठन न सिफऱ् ब्रिक्स देशों के लिए, बल्कि उन सभी देशों की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए किया जा रहा है, जिन्होंने अभी तक पूरी तरह से बाजार के नियम नहीं अपनाए हैं। इस तरह हम देखते हैं कि चीन के प्रभुत्व का विस्तार उस विस्तार से बिल्कुल अलग है, जैसा विस्तार वैश्वीकरण की प्रमुख शक्ति के रूप में पश्चिमी देश कर रहे हैं। पश्चिमी देशों द्वारा अभी तक जो वित्तीय वैश्वीकरण किया जा रहा था, वह उस वैश्वीकरण में शामिल होने वाले देशों के लिए लाभदायक नहीं था। कभी-कभी तो उसकी वजह से आपसी टकराव भी होने लगता था।  आजकल रूस ब्रिक्स-दल का अध्यक्ष है। ब्रिक्स के पांच सदस्य देशों के नेताओं का शिखर-सम्मेलन आगामी 9-10 जुलाई को रूस के ऊफा नगर में होगा। रूस के राष्ट्रपति ब्लदीमिर पुतिन का कहना है कि मॉस्को को आशा है कि इस शिखर-सम्मेलन में ब्रिक्स विकास बैंक का काम शुरू हो जाएगा और  रिजर्व मुद्राओं के नाम तय कर लिए जाएँगे।


     

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