• कांग्रेस दिल्ली में संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ

    नई दिल्ली ! कांग्रेस ने सोमवार को दिल्ली सरकार के उस कदम का विरोध किया, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति को नियमित कर दिया गया है। कांग्रेस पार्टी ने यह भी कहा कि वह उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलेगी और उनसे आग्रह करेगी कि वे दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य निष्कासन संशोधन) विधेयक, 2015 को मंजूरी न दें।...

    नई दिल्ली !   कांग्रेस ने सोमवार को दिल्ली सरकार के उस कदम का विरोध किया, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति को नियमित कर दिया गया है। कांग्रेस पार्टी ने यह भी कहा कि वह उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलेगी और उनसे आग्रह करेगी कि वे दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्य निष्कासन संशोधन) विधेयक, 2015 को मंजूरी न दें।

    नियमितीकरण को लागू करने के लिए इस विधेयक को दिल्ली विधानसभा में 24 जून को पारित कर दिया था।

    पार्टी प्रवक्ता अजय माकन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "यह एक अल्पविश्वासी मुख्यमंत्री का हताशा भरा प्रयास है, जो अपनी पार्टी के विधायकों को एकजुट बनाए रखने के लिए उन्हें विशिष्ट दर्जा दिलाना चाहते हैं।"

    दिल्ली के कानून एवं न्याय मंत्री कपिल मिश्रा ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस विधेयक को सदन में पेश किया था।

    सत्ता में आने के तुरंत बाद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने आप के 21 विधायकों को सरकारी मंत्रालयों में संसदीय सचिव नियुक्त करने का आदेश पारित किया था और कहा था कि इस कदम से सरकारी कामकाज में सुविधा होगी।


    माकन ने कहा कि शक्तियों और भत्तों के आधार पर देखा जाए तो इन संसदीय सचिवों के अधिकार किसी राज्यमंत्री से कम नहीं हैं।

    दिल्ली कांग्रेस कमेटी के प्रमुख अजय माकन ने कहा, "जब एक विधायक जो कि मंत्री नहीं है, उसे कानून की अनदेखी कर संसदीय सचिव बनाया जाता है तो उस पर लाभ से जुड़े पद के कानून लागू हो जाते हैं। इसीलिए हमारा मानना है कि इन सभी 21 विधायकों को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।"

    दिल्ली में लगातार 15 साल शासन के बाद विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने वाली पार्टी के नेता ने कहा, "हम उपराज्यपाल के साथ बैठक को लेकर आशान्वित हैं। हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे इस विधेयक को अपनी अनुमति न दें। इन 21 संसदीय सचिवों को बचाने के लिए दिल्ली विधानसभा ने बजट सत्र में इस विधेयक को पारित किया है।"

    उन्होंने कहा, "दिल्ली में प्रशासन पंगु हो गया है और उसमें ठहराव आ गया है।"

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