• मीणा को कामकाज से रोकने से न्यायालय का इंकार

    नई दिल्ली ! | दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख मुकेश कुमार मीणा को भ्रष्टाचार रोधी विभाग के कामकाज में दखलंदाजी से रोकने और उनके दफ्तर में प्रवेश पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।...

    नई दिल्ली !   दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख मुकेश कुमार मीणा को भ्रष्टाचार रोधी विभाग के कामकाज में दखलंदाजी से रोकने और उनके दफ्तर में प्रवेश पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति वी. पी. वैश ने इस संबंध में अंतरिम आदेश पारित करने की दिल्ली सरकार की मांग खारिज कर दी, हालांकि मीणा को कानून के मुताबिक काम करने का निर्देश दिया है।

    न्यायालय ने एसीबी की नियुक्ति के मामले में दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर 11 अगस्त तक जवाब देने के लिए कहा है।

    दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की उस अधिसूचना के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें दिल्ली सरकार में प्रमुख नौकरशाहों की नियुक्तियों एवं तबादलों का अधिकार उपराज्यपाल नजीब जंग के पास रखा गया है।

    ज्ञात रहे कि आठ जून को उपराज्यपाल ने राज्य सरकार के विरोध के बावजूद एसीबी प्रमुख एस. एस. यादव को पद से हटाते हुए उनके स्थान पर मीणा को नियुक्त किया था।

    उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच शुरू हुए इस संघर्ष के नतीजतन इस समय एसीबी के दो-दो प्रमुख हैं।

    सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मीणा 'अपनी शक्तियों का दुरुपयोग' कर रहे हैं तथा एसीबी और सतर्कता विभाग के अधिकारियों को धमका रहे हैं।


    उन्होंने कहा कि एसीबी को अपना कार्य सुचारु तरीके से जारी रखने के लिए जरूरी है कि मीणा के एसीबी कार्यालय में प्रवेश और एसीबी के कामकाज में दखलंदाजी करने से रोका जाए।

    इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मीणा की नियुक्ति मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार करते हुए की गई। उन्होंने कहा, "आदेश जारी करने से पहले उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद से परामर्श नहीं किया।"

    इंदिरा ने कहा, "एसीबी का गठन 45 वर्ष पहले किया गया था और यह सीधे दिल्ली सरकार के नियंत्रण में आता है।"

    दिल्ली सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है, "एस. एस. यादव की अतिरिक्त आयुक्त और एसीबी प्रमुख के तौर पर नियुक्ति की गई है। मीणा को एक ऐसे पद की देखभाल करने और कामकाज संभालने का निर्देश दिया गया है जो पद है ही नहीं तथा उनकी नियुक्ति का आदेश साफ तौर पर अवैध है।"

    केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि एसीबी पुलिस विभाग के अंतर्गत आता है तथा दिल्ली में पुलिस विभाग केंद्र सरकार के अधीन आता है, इसलिए एसीबी प्रमुख की नियुक्ति भी केंद्र के अधिकार में आता है।

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