• प्रोटीन की भारी कमी से जूझ रहे दिल्लीवासी

    नई दिल्ली ! राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 99 फीसदी आबादी प्रोटीन की कमी से जूझ रही है। वहीं 80 फीसदी भारतीय आहार ऐसे होते हैं जिनमें प्रोटीन की कमी रहती है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि देश के उत्तरी भागों के ज्यादातर वयस्कों को प्रोटीन की सही मात्रा का ही पता नहीं है। इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो (आईएमआरबी) द्वारा भारत के सात बड़े शहरों में एक सर्वेक्षण कराया गया।...

    हाल ही में हुए अध्ययन में खुलासा नई दिल्ली !   राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 99 फीसदी आबादी प्रोटीन की कमी से जूझ रही है। वहीं 80 फीसदी भारतीय आहार ऐसे होते हैं जिनमें प्रोटीन की कमी रहती है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।  सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि देश के उत्तरी भागों के ज्यादातर वयस्कों को प्रोटीन की सही मात्रा का ही पता नहीं है।  इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो (आईएमआरबी) द्वारा भारत के सात बड़े शहरों में एक सर्वेक्षण कराया गया। वयस्कों के आहार में प्रोटीन की मात्रा को लेकर किए गए इस सर्वेक्षण के परिणामों से पता चला है कि मांसाहारी भोजन खाने वाले 85 फीसदी लोगों और शाकाहारी भोजन करने वाले 91 फीसदी लोगों में प्रोटीन की कमी पाई गई।   सर्वेक्षण में 30 से 55 साल उम्र के 1,260 लोगों को शामिल किया गया था। इसमें पुरुषों, महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली महिलाओं को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में 59 फीसदी लोग मांसाहारी थे।   मैक्स हेल्थकेयर अस्पताल में डायटिक्स डॉ. ऋतिका समादार ने कहा,  औसतन एक वयस्क को रोजाना उसके शरीर के प्रति किलोग्राम भार के हिसाब से एक ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। इससे कम प्रोटीन लेने से रोजमर्रा के कामकाज करने में कठिनाई होती है और दिमाग, संवेदी संकेतों को ठीक से नहीं समझ पाता। कमजोरी और थकावट लगना, प्रोटीन की कमी का मुख्य लक्षण है। नमूने में शामिल लोगों के उत्तरों से पता चला है कि 88 फीसदी लोग उचित मात्रा से कम प्रोटीन लेते हैं।  वहीं इस सर्वेक्षण में दिल्ली की 99 फीसदी आबादी में प्रोटीन की कमी पाई गई है। डॉ. समादार ने आगे बताया, ‘‘लोग अपने दैनिक खानपान में प्रोटीन संपूरक का महत्व नहीं समझ पा रहे हैं। वे सोचते हैं कि प्रोटीन संपूरक केवल बॉडी बिल्डरों या कुपोषित लोगों के लिए ही होते हैं। उन्हें अपने आहार में भरपूर चीजें शामिल करनी चाहिए, वरना आने वाली पीढिय़ों में इसके गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।  


     

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