• सांसद निधि खर्च नहीं कर पा रहे माननीय!

    नई दिल्ली ! लोकसभा के 298 सांसदों ने उन्हें दी जाने वाली सालाना पांच करोड़ रुपए की निधि में से गत एक साल के दौरान एक भी पैसा खर्च नहीं किया है। निधि का एक भी पैसा खर्च नहीं करने वालों में गृह मंत्री राजनाथ सिंह (लखनऊ), रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार (बेंगलुरू दक्षिण), कानून मंत्री सदानंद गौड़ा (बेंगलुरू उत्तर), कलराज मिश्र (देवरिया) और उमा भारती (झांसी) प्रमुख हैं।...

    नई दिल्ली !  लोकसभा के 298 सांसदों ने उन्हें दी जाने वाली सालाना पांच करोड़ रुपए की निधि में से गत एक साल के दौरान एक भी पैसा खर्च नहीं किया है। निधि का एक भी पैसा खर्च नहीं करने वालों  में  गृह मंत्री राजनाथ सिंह (लखनऊ), रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार (बेंगलुरू दक्षिण), कानून मंत्री सदानंद गौड़ा (बेंगलुरू उत्तर),  कलराज मिश्र (देवरिया) और  उमा भारती (झांसी) प्रमुख हैं।अन्य प्रमुख सांसदों में शामिल हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (राय बरेली), भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी (कानपुर), समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव (आजमगढ़)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने क्षेत्र वाराणसी में निधि का 16 प्रतिशत  खर्च किया है। लोकसभा में 281 सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के और 44 सदस्य कांग्रेस के हैं। कोई पैसा नहीं खर्च करने वालों में 52 सांसदों के साथ सबसे आगे उत्तर प्रदेश, उसके बाद महाराष्ट्र और बिहार है। उल्लेखनीय है कि सांसद निधि मुख्यत: पेय जल, स्वच्छता, बिजली, सडक़, सामुदायिक भवनों के निर्माण पर खर्च किए जा सकते हैं। यदि निधि एक साल में खर्च नहीं होती है, तो इसे दूसरे वर्ष खर्च किया जा सकता है। सांसद निधि 23 साल पहले शुरू की गई है। इसके तहत काम का सुझाव सांसद देते हैं, जिसका अनुमोदन जिलाधीश करते हैं और कार्यान्वयन स्थानीय निकाय से होता है। जिलाधीश को यह सुनिश्चित करना होता है कि काम एक साल के भीतर पूरा हो जाए। 16वीं लोकसभा के गठन के बाद से केंद्र सरकार ने इस निधि के लिए 1,757 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसमें से 281 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल जारी की गई राशि का 16 फीसदी है। 15 मई, 2015 तक की स्थिति के मुताबिक 1,487 करोड़ रुपये यूं ही पड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश, ओडिशा, असम और राजस्थान के सांसदों ने राष्ट्रीय औसत से कम खर्च किया है। पूर्वोत्तर राज्यों और तमिलनाडु के सांसदों ने 35 फीसदी से अधिक खर्च किया है। केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने फरवरी में एक बैठक में कहा था कि सांसदों के मुताबिक जिला प्रशासन की सुस्ती के कारण निधि का उपयोग नहीं हो पा रहा है।  बैठक के ब्यौरे के मुताबिक, उन्होंने जिला प्रशासन को कार्यान्वयन में तेजी लाने का निर्देश दिया।

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