• मुस्लिम होने के कारण महिला को नहीं मिला घर

    मुंबई ! मायानगरी मुंबई में धार्मिक भेदभाव का एक और मामला सामने आया है। यहां पर एक महिला को मुस्लिम होने के कारण मध्य मुंबई के वडाला इलाके में घर देने से इनकार कर दिया गया। 25 वर्षीय महिला ने लंदन से शिक्षा प्राप्त की है और वह विज्ञापन के क्षेत्र में काम करती है। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री एकनाथ खडसे ने बुधवार को यहां पर मामले की जांच के आदेश दिए हैं।...

    मुंबई !  मायानगरी मुंबई में धार्मिक भेदभाव का एक और मामला सामने आया है। यहां पर एक महिला को मुस्लिम होने के कारण मध्य मुंबई के वडाला इलाके में घर देने से इनकार कर दिया गया। 25 वर्षीय महिला ने लंदन से शिक्षा प्राप्त की है और वह विज्ञापन के क्षेत्र में काम करती है। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री एकनाथ खडसे ने बुधवार को यहां पर मामले की जांच के आदेश दिए हैं।मिस्बाह एन. कादरी नाम की यह महिला पांच साल से मुंबई में रह रही है। वह मूल रूप से अहमदाबाद की रहने वाली है। मुंबई में धार्मिक भेदभाव का यह पहला मामला नहीं है। अभी पिछले सप्ताह ही एक मुस्लिम एमबीए स्नातक जीशान अली को हरि कृष्ण एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक शीर्ष हीरा व्यापार कंपनी ने उसके धर्म के आधार पर नौकरी देने से मना कर दिया था। एक पखवाड़े के भीतर ही मुस्लिमों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव के लागातार मामले सामने आने के बाद महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष एम.एच. खान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एकनाथ खडसे को इस मामले की जानकारी दी।राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री खडसे ने इस मामले की जांच के आदेश दिए। साथ ही मुंबई महानगर पालिका का एक दल वडाला स्थित सांघवी हाइट्स नाम की इस इमारत के बिल्डर से मिलेगा। यह इमारत महिला के विज्ञापन और मीडिया समूह के दफ्तर से करीब है।खडसे ने संवाददाताओं से कहा, "जीशान के मामले में हमने जांच शुरू कर दी है और पुलिस ने प्रथामिकी दर्ज कर ली है। जहां तक बात मिस्बाह की शिकायत की है तो हम मामले की जांच करेंगे और उसके बाद कार्रवाई होगी।"अप्रैल की शुरुआत में मिस्बाह ने तीन कमरों के एक घर में एक कमरे को किराए पर लेने का सौदा तय किया था। इसके लिए उन्होंने बंसल नाम के दलाल को अग्रिम भुगतान की पहली किश्त के तौर पर 24,000 रुपये भी दे दिए थे।बंसल ने बाद में उसे फ्लैट का लिखित अनुबंध देने से मना कर दिया और उससे 9,000 रुपये की बकाया राशि की मांग की। इसके अलावा उसने अग्रिम किराया देने और सहयोग न करने पर पुलिस कार्रवाई की भी धमकी दी।बाद में उसने मिस्बाह को फोन कर बताया कि हाउसिंग सोसाइटी ने मुस्लिम किराएदार अथवा मालिक को घर देने से मना कर दिया है। मिस्बाह ने आईएएनएस से कहा, "मुझे बंसल से यह सुनकर धक्का लगा कि फ्लैट के लिए भुगतान करने के बाद इमारत में मुस्लिमों को घर नहीं दिया जाता। अभी तक दलाल ने मेरे रुपये भी नहीं लौटाए हैं।"मिस्बाह ने कहा, "अग्रिम भुगतान की आधी से अधिक राशि, रेज्यूमे और किराया राशि लेने के बाद वह मुझे रेंटल एग्रीमेंट कैसे नहीं दे सकते। जबकि इसके बाद पुलिस द्वारा सत्यापन जरूरी हो जाता है। यहां तक कि उन्होंने एग्रीमेंट में मेरा नाम दर्ज करने से मना कर दिया जिसके कारण भविष्य की समस्याओं के लिए मेरे पास कोई कानूनी संरक्षण नहीं रह गया।"

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