• आरएसएस को रोकने लिए 3 भारतीयों ने कसी कमर

    न्यूयॉर्क ! मेरिका का एक सिख अधिकार समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आतंकी संगठन घोषित कराना चाहता है और इस कोशिश में 'घरवापसी' के पीड़ित तीन भारतीय भी उसके साथ मिल गए हैं । सत्ताधारी बीजेपी के आइडियोलॉजिकल थिंक टैंक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आतंकी संगठन घोषित करवाने के लिए तीन भारतीयों ने अमेरिकी अदालत की शरण ली है। इन तीनों ने आरएसएस पर उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया है। तीनों ने सिख अधिकार संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) की मदद ली है। ...

    न्यूयॉर्क ! मेरिका का एक सिख अधिकार समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आतंकी संगठन घोषित कराना चाहता है और इस कोशिश में 'घरवापसी' के पीड़ित तीन भारतीय भी उसके साथ मिल गए हैं । सत्ताधारी बीजेपी के आइडियोलॉजिकल थिंक टैंक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आतंकी संगठन घोषित करवाने के लिए तीन भारतीयों ने अमेरिकी अदालत की शरण ली है। इन तीनों ने आरएसएस पर उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया है। तीनों ने सिख अधिकार संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) की मदद ली है। शिकायत जज लॉरा टेलर स्वेन की अदालत में लगाई गई है। एसएफजे ने कहा है कि याचिका लगाने वाले तीनों शख्स आरएसएस के कथित 'घर वापसी' कार्यक्रम के पीड़ित हैं। पीड़ितों के नाम हैं- माइकल मसी, हाशिम अली और कुलविंदर सिंह। माइकल ईसाई, हाशिम मुस्लिम और कुलविंदर सिख हैं। इनकी शिकायत है कि 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से आरएसएस उनके परिवारों को जबरन हिंदू बनाना चाह रहा है। शिकायत के साथ यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। यह वही रिपोर्ट है, जिसमें दावा किया गया था कि दिसंबर 2014 में हिंदू संगठनों ने यूपी में 4 हजार ईसाई और 1 हजार मुस्लिम परिवारों के जबरन धर्म परिवर्तन का एलान किया। वहीं, एसएफजे के लीगल एडवाइजर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि मौजूदा कानूनों के तहत ओबामा प्रशासन आरएसएस जैसे संगठनों को आतंकी करार देने के लिए बाध्य है। अप्रैल में अमेरिकी सरकार ने फेडरल कोर्ट से कहा था कि वह एसएफजे द्वारा स्टेट सेक्रेटरी जॉन केरी के खिलाफ किए गए मुकदमे को खारिज करे। एसएफजे केरी की मदद से आरएसएस को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करवाना चाहता था। अमेरिका ने कहा था कि एसएफजे के पास केरी को इस तरह का एलान करने के लिए बाध्य करने का कोई अधिकार नहीं है।

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