• अपने वायदों पर खरी नहीं उतरी आप व मोदी सरकार

    नई दिल्ली ! अपनी सत्ता के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मथुरा में एक सभा की और अपनी उपलब्धियों को एक बार फिर गिनाया। राजनीतिक स्पेस में उनके जैसे ही सपनों के सहारे बढ़ रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने सौ दिन का लेखा जोखा दिल्ली में पेश किया। सच्ची बात यह है कि दोनों ही अपने वायदे पूरे करने की दिशा में कोई खास सफल नहीं हुए हैं। ...

     शेषनारायण सिंहकहींएक साल तो कहींमन रहा सौ दिन का जश्ननई दिल्ली !   अपनी सत्ता के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मथुरा में एक सभा की और अपनी उपलब्धियों को एक बार फिर गिनाया। राजनीतिक स्पेस में उनके जैसे ही सपनों के सहारे बढ़ रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने सौ दिन का लेखा जोखा दिल्ली में पेश किया। सच्ची बात यह है कि दोनों ही अपने वायदे पूरे करने की दिशा में कोई खास सफल  नहीं हुए हैं। वायदे पूरे करने की दिशा में सही कदम भी नहीं उठाए गए हैं, लेकिन अपने भाषणों में दोनों ने ही सफलता का दावा किया।साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मथुरा में अपनी सभा करने को भी एक दार्शनिक आधार देने की कोशिश की। अपनी पार्टी के संस्थापकों में से एक, दीन दयाल उपाध्याय के गांव में जाकर साबरमती और वर्धा जैसा माहौल बनाने की कोशिश की, जिसमें कोई भी परेशानी की बात नहीं है, लेकिन उनके भाषण में कुछ भी नया नहीं था। उनकी वे उपलब्धियां  जिनको वे खुद अमेरिका से लेकर चीन तक बताते रहे हैं, दुहराई गईं। सत्ता का दूसरा साल शुरू होने पर कुछ भी नया नहीं बताया गया। औद्योगिक फोकस को जिंदा करने के वायदे के साथ सत्ता में आए नरेंद्र मोदी ने अपने असफलताओं  का कोई जिक्र नहीं किया। उनका मेक इन इंडिया 12 से 14 प्रतिशत औद्योगिक विकास दर की बात करता है, लेकिन इस साल विकास दर  6.8 फीसदी पर ही रह गई है। कारखानों के संसाधनों की कमी है और वे 72 फीसदी क्षमता पर काम कर रहे हैं। शुरू में तो विदेशी निवेशकों में उत्साह था, शुरू के चार महीने में 15 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भारतीय शेयर बाजार में आयी थी, लेकिन मई का आंकड़ा नरेंद्र मोदी की उम्मीदों को कहीं का नहीं छोड़ता। मई अभी पूरी नहीं हुई है और चार अरब डॉलर इसी मई के महीने में ही निकाला जा चुका है। सबको मालूम है कि इन बातों का जिक्र प्रधानमंत्री अपने भाषण में नहीं करेंगे, लेकिन यह सच्चाई सब को मालूम है अच्छे दिन के उनके वायदे के पूरा न होने के बाद नरेंद्र मोदी ने गोलपोस्ट बदल दिया। उन्होंने जनता से पूछा कि के साल भर में बुरे दिन चले गए कि नहीं। उत्तर प्रदेश में सरकार से वहां की जनता को भारी निराशा है जाहिर है जनता में कोई उत्साह नहीं था। सभा खत्म होने पर उत्साह दिखा, क्योंकि मथुरा की गर्मी को झेल रहे  लोगों ने राहत की सांस ली। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने पूरी कैबिनेट को सडक़ पर लाकर जनता को अपने सौ दिन का हिसाब दिया। जैसा कि उनकी विशेषता है, टेलिविजन के लिए माहौल बहुत अच्छा बना दिया, लेकिन जनता के सवालों पर बगलें झांकते नजर आए। सवाल जनता ने सीधे नहीं पूछे , सारे सवाल लोगों ने कथित रूप से लिख कर भेज दिया था। साफ लग रहा था कि सवाल प्रायोजित थे, लेकिन प्रायोजित  सवालों का भी गोल मोल जवाब देते रहे। दिल्ली के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के उत्थान में टेलिविजन का बहुत योगदान है, लेकिन मोदी सरकार के एक साल पूरे होने पर केजरीवाल ने साबित कर दिया कि अभी उनके पास बहुत तरीके हैं, जिस से वे जनता को उलझाए रख सकते हैं, जबकि नरेंद्र मोदी के भाषण अब टेलिविजन के लिए अच्छे अवसर होना बंद हो रहे हैं।

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