• ‘नेपाल भूकम्प के बाद भी नहींरुक रहा अवैध निर्माण’

    नई दिल्ली/शिमला ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बेतरतीब तरीके से बनी इमारतों और अतिक्रमणों पर संज्ञान लेते हुए राज्य उच्च न्यायालय ने निर्माताओं को नेपाल में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकम्प से सीख लेने के लिए कहा। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि नेपाल का विनाशकारी भूकम्प भी प्रशासन को नींद से नहीं जगा पाया है कि वे शिमला में अवैध निर्माण पर रोक लगाएं, जिसकी वजह से यह पहाड़ी क्षेत्र झुग्गी में तब्दील होता जा रहा है।...

    नई दिल्ली/शिमला !   हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बेतरतीब तरीके से बनी इमारतों और अतिक्रमणों पर संज्ञान लेते हुए राज्य उच्च न्यायालय ने निर्माताओं को नेपाल में पिछले महीने आए विनाशकारी भूकम्प से सीख लेने के लिए कहा।  न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यहां अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि नेपाल का विनाशकारी भूकम्प भी प्रशासन को नींद से नहीं जगा पाया है कि वे शिमला में अवैध निर्माण पर रोक लगाएं, जिसकी वजह से यह पहाड़ी क्षेत्र झुग्गी में तब्दील होता जा रहा है।न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह सुनाए गए अपने 29 पृष्ठों के फैसले में कहा कि हालिया अध्ययनों ने इस बात के संकेत किए गए हैं कि हिमाचल प्रदेश का अधिकतर हिस्सा भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र-5 और बाकी हिस्सा क्षेत्र-4 में आते हैं। लेकिन यह तथ्य भी शिमला में अधिकारियों को नींद से जगा नहीं पाया। पीठ ने शिमला के बाजारों में हो रहे अतिक्रमण पर स्वत: संज्ञान में लेते हुए कहा कि भूकम्प की आशंका वाला क्षेत्र होने के कारण कभी ब्रिटिश राज की राजधानी रही शिमला में नेपाल जैसे विनाश के खतरे को नहीं टाला जा सकता। पीठ ने कहा, अवैध निर्माण को वैध नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकम्प की हालिया गतिविधियों पर विचार करते हुए निर्माण संबंधी उपनियमों को संशोधित किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा, अधिकतर इमारतें ढलान पर बनी हैं। उच्च तीव्रता वाला भूकम्प इन घनी बस्तियों और संकरे रास्तों के लिए घातक होगा। न्यायालय ने कहा, बेढ़ंगे और अवैध निर्माण के कारण कभी सात खूबसूरत पहाडिय़ों का नगर रहा यह शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है। उन्होंने कहा, इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि बेतरतीब, अनियोजित और अवैध निर्माणों ने पहाड़ी इलाकों, खासतौर से राजधानी शिमला की खूबसूरती को नुकसान पहुंचाया है। फिर प्रशासन इसे झुग्गी में परिवर्तित करने की अनुमति क्यों दे रहा है? न्यायालय ने शिमला नगर निगम को छह सप्ताह के भीतर सभी अवैध परियोजनाओं को ध्वस्त करने का निर्देश दिया।न्यायालय ने कहा कि शिमला में न सिर्फ बाजारों, बल्कि सार्वजनिक सडक़ों पर भी अतिक्रमण है, जिससे आपातकालीन वाहनों को गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी होती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि बेढंगे विकास और पर्यावरणीय ह्रास के बाद भी शिमला को यूनेस्को विशव धरोहर स्थल की सूची में शामिल होने की उम्मीद है। लेकिन लेकिन क्या वर्तमान परिदृश्य में शहर को यह हैसियत मिल सकती है?

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