• 'दिल्ली पुलिस के अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकता है एसीबी'

    नई दिल्ली ! दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने और मुकदमा करने की कार्रवाई दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के क्षेत्राधिकार के अधीन आती है। इसके साथ ही न्यायालय ने एसीबी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए हेड कांस्टेबल की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। ...

    नई दिल्ली !   दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने और मुकदमा करने की कार्रवाई दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के क्षेत्राधिकार के अधीन आती है। इसके साथ ही न्यायालय ने एसीबी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए हेड कांस्टेबल की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। न्यायाधीश विपिन संघी ने सोनिया विहार पुलिस थाने में तैनात हेड कांस्टेबल अनिल कुमार की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। अनिल को एक मई को इलाके में एक कबाड़ विक्रेता से जबरन पैसा बसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।एसीबी द्वारा अनिल को गिरफ्तार करने पर दिल्ली पुलिस और राज्य सरकार के बीच विवाद शुरू हो गया था। एसीबी ने अनिल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाया था, वहीं पुलिस ने इस मामले में जवाबी कार्रवाई करते हुए अपहरण की प्राथमिकी दर्ज की थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी एसीबी के क्षेत्राधिकार में आते हैं। साथ ही न्यायालय ने केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा 2014 में जारी उस अधिसूचना पर भी सवाल उठाए जिसमें कहा गया था कि एसीबी को केवल दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है, केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ नहीं।ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन आती है। न्यायाधीश न्यायमूíत संघी ने कहा, "मैंने यह पाया है कि पीसी एक्ट के तहत आने वाली शिकायतों पर एसीबी के जरिए दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार (जीएनसीटीडी) के कार्यकारी अधिकार को जीएनसीटीडी के अधिकारियों और कर्मचारियों तक सीमित करने के संबंध में 23 जुलाई 2014 को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती थी।"मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप-राज्यपाल नजीब जंग के बीच उपजे विवाद पर केंद्र सरकार द्वारा 21 मई को जारी अधिसूचना पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा, "केंद्र सरकार द्वारा 21 मई 2015 को जारी किया गया आधिकारिक आदेश भी संदिग्ध है।"

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