• ‘मेक इन इंडिया’ पर फ्रांस के बाद अब जर्मनी की नजर

    नई दिल्ली ! फ्रांस के बाद अब जर्मनी की नजर भी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ पर लगी है और वह स्वदेशी पनडुब्बी बनाने की भारत की परियोजना में साझीदार बनने की जुगत में है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से नौसेना के लिए देश में ही छह पनडुब्बी बनाने की परियोजना को हाल ही में मंजूरी दी है।...

    भारत में पनडुब्बी बनाने का इच्छुक है जर्मनी  नई दिल्ली !   फ्रांस के बाद अब जर्मनी की नजर भी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ पर लगी है और वह स्वदेशी पनडुब्बी बनाने की भारत की परियोजना में साझीदार बनने की जुगत में है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से नौसेना के लिए देश में ही छह पनडुब्बी बनाने की परियोजना को हाल ही में मंजूरी दी है। फ्रांस सरकार के साथ लड़ाकू विमान राफेल खरीदने की सहमति को मोदी सरकार के रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत पहला बड़ा पड़ाव माना जा रहा है।इससे फ्रांसीसी कंपनी भारतीय कंपनियों के साथ राफेल विमान से जुड़ी तकनीक साझा करेंगी और उसके कलपुर्जों का संयुक्त निर्माण करने का मार्ग प्रशस्त होगा। जर्मनी भी भारत की देश में ही पनडुब्बी बनाने की महत्वाकांक्षा को भुना कर मेक इन इंडिया योजना का लाभ उठाने का इच्छुक है। जर्मनी की विदेश मंत्री उर्सला वान डेर लेयन तीन दिन की यात्रा पर आगामी मंगलवार को दिल्ली पहुंच रही है और वह स्वदेशी पनडुब्बी बनाने की भारत की योजना में साझीदार बनने की मजबूती के साथ पैरवी करेंगी।  सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में पनडुब्बी के विकास में साझीदारी के मुद्दे पर प्रमुखता के साथ चर्चा होगी। जर्मन प्रतिनिधिमंडल मेक इन इंडिया में साझीदार बनने के लिए अपने प्रस्ताव मजबूती के साथ रखेंगी। जर्मन कंपनियों को दुनिया भर में पनडुब्बी बनाने में महारत हासिल है और वे भारत सरकार के एक और शिपयार्ड को विदेशी साझीदार के साथ पनडुब्बी बनाने के लिए हरी झंडी दिखाने में अपने लिए संभावना देख रही हैं।  दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच डोर्नियर विमानों और सैन्य हार्डवेयर के लिए मशीनरी की आपूर्ति से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। भारत और जर्मनी के बीच पिछले डेढ दशक से ‘रणनीतिक साझीदारी’ है। दोनों देशों ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा के लिए उच्चस्तरीय प्रौद्योगिकी साझीदारी समूह, उच्चस्तरीय रक्षा समिति और आतंकवाद रोधी संयुक्त कार्यदल बना रखे हैं। जर्मन रक्षा मंत्री की यात्रा को जर्मन चांसलर एंजला मार्केल की भारत यात्रा की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है। मार्केल अक्टूबर में भारत यात्रा पर आएंगी।

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