• तमनार में आर्थिक गतिविधियां ठप,आठ हजार लोग बेरोजगार

    रायगढ़ ! छत्तीसगढ़ में रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में तीन कोयला ब्लॉकों का आबंटन रद्द किए जाने से इलाके की आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं और इन तीनों कोयला ब्लॉकों से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े आठ हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं तथा खुले खदानों में लगी आग से ५० हजार टन से अधिक कोयला जलकर राख हो गया है।...

     तीन कोयला ब्लॉकों का आबंटन रदद खुले खदानों में लगी आग, 50 हजार टन कोयला जलकर राख उत्पादन बंद होने से 38गांव प्रभावितरायगढ़ !    छत्तीसगढ़ में रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में तीन कोयला ब्लॉकों का आबंटन रद्द किए जाने से इलाके की आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं और इन तीनों कोयला ब्लॉकों से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े आठ हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं तथा खुले खदानों में लगी आग से ५० हजार टन से अधिक कोयला जलकर राख हो गया है। कोयला ब्लॉक नीलामी के बाद सरकार ने कंपनियों के आपस में मिलकर बोली लगाने का हवाला देते हुए इस क्षेत्र के तीन कोयला ब्लॉकों का आबंटन रद्द करते हुए इनको सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया को सौंप दिया। गारे पल्मा ४ के दो कोयला ब्लॉकों दो और तीन को कोल इंडिया ने अपनी सहायक कंपनी एसईसीएल को सौंप दी है लेकिन इन खुले खदानों में उत्पादन पूरी तरह बंद है। एक अप्रैल २०१५ से उत्पादन बंद होने की वजह से इन खदानों में कार्यरत आसपास के ३८ गांवों के करीब तीन हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसके साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े पांच हजार और लोगों पर भी इसका असर पड़ा है। गारे पल्मा चार के दो और तीन ब्लॉक में उत्पादन बंद होने के बाद आग लगने से अब तक ५० हजार टन से अधिक कोयला जल कर राख हो चुका है। विशेषज्ञों ने कहा कि खुले खदान में स्वत: आग लगती रहती है लेकिन उसे समय रहते काबू करना होता है लेकिन एसईसीएल के इस पर ध्यान नहीं देने से धीरे-धीरे आग फैलने लगी और अब तो यह तेजी से बढ़ रही है और यदि एक सप्ताह के भीतर इस पर काबू नहीं पाया गया तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। गारे पल्मा ४ के दो नंबर खदान में काम करने वाले श्रमिक गजानंद पटेल ने कहा कि करीब तीन हजार श्रमिक काम कर रहे थे और खदानों में उत्पादन बंद होने से एक अप्रैल से सब बेरोजगार हो गए हैं। हर महीने १२ हजार से १५ हजार रुपए की कमाई होती थी। कोयला खदानो में उत्पादन बंद होने से अब इस क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ गई है और बाहर से आए श्रमिक और दूसरे कामगार लौट चुके हैं। इन खदानों में कोयला निकालने का काम करने वाले ठेकेदार के जे सिंह ने कहा कि गारे पल्मा खदानों में दो हजार से अधिक लोग कोयला परिवहन से जुड़े थे। उनके पास करीब आठ सौ कामगार थे लेकिन अब सब वापस जा चुके हैं। उनके पास एक सौ से अधिक डंपर, लोडर और डोजर है। उन्होंने कहा कि अब उनकी कंपनी उन्हें वापस नागपुर बुला रही है और जल्द ही वह सभी उपकरणों के साथ गारे पल्मा खदान क्षेत्र से निकल जाएंगे। सिंह ने कहा कि उत्पादन बंद होने से उनका करीब १२५ करोड़ रुपए का निवेश जंग खाने लगा है। डंपर खड़े हैं और भारी अर्थमूवर्स मशीनों को भी जंग खा रही है।

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