• नेपाल के दोलखा में अब भी मलबे में दबे पड़े हैं शव

    सिंगाती (नेपाल) ! नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में सर्वाधिक प्रभावित दोलखा जिले के सिंगाती बाजार इलाके में अभी भी मलबे के नीचे दबे पड़े शवों को निकाले जाने की जरूरत है, क्योंकि राहत एवं बचाव कर्मियों को अपना काम पूरा करने की दिशा में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। ...

    सिंगाती (नेपाल) !  नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में सर्वाधिक प्रभावित दोलखा जिले के सिंगाती बाजार इलाके में अभी भी मलबे के नीचे दबे पड़े शवों को निकाले जाने की जरूरत है, क्योंकि राहत एवं बचाव कर्मियों को अपना काम पूरा करने की दिशा में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिंगाती में गिरे हुए घरों के मलबे में अभी भी 100 से अधिक शव दबे पड़े हैं। भूकंप के बाद इलाके में लगातार भूस्खलन जारी है, जिसके कारण बचाव एवं राहत कार्य में बाधा आ रही है।चारिकोट स्थित बारदा बहादुर बटालियन पर तैनात नेपाली सेना के मेजर राजन दहल ने कहा कि सिंगाती में राहत एवं बचाव कार्य में काफी कठिनाई आ रही है, क्योंकि भूकंप के बाद लगातार भूस्खलन हो रहे हैं।अब तक सिंगाती में मलबे के नीचे से सिर्फ 33 शव निकाले जा सके हैं।स्थानीय निवासी पद्मराज पाठक ने बताया कि 12 मई को आए तगड़े झटके के कारण हुए भूस्खलन से सिंगाती का बस अड्डा भी ढह गया। भूस्खलन के कारण तलाश अभियान भी बाधित हुआ।इसके बाद बीते बुधवार को कुछ अमेरिकी राहतकर्मी सिंगाती पहुंचे और राहत कार्य दोबारा शुरू हुआ। शुक्रवार को सिंगाती में 29 शव निकाले गए।नेपाली राहत दल के साथ संयुक्त अभियान में अमेरिकी राहत दल ने सिंगाती से लादुक बुलुंग को जोड़ने वाले दो किलोमीटर लंबे मार्ग को भी बाधामुक्त किया, जिससे शुक्रवार को दोनों इलाकों के बीच परिवहन शुरू हो सका।पाठक ने बताया कि 25 अप्रैल के विनाशकारी भूकंप में बच गए 200 लोग 12 मई को टेंट और अन्य सामग्री खरीदने सिंगाती में थे, तभी उन्हें झटके का सामना करना पड़ा। लेकिन अब तक यह नहीं पता चल सका है कि वे भूस्खलन में बचे या नहीं।सिंगाती जिला मुख्यालय चारीकोट से 40 किलोमीटर की दूरी पर है और जिले के उत्तरी हिस्से के लिए प्रमुख बाजार है।सिंगाती में अब अधिकांश आधारभूत संरचना ध्वस्त हो चुकी है तथा सिंगाती को अन्य इलाकों से जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें क्षतिग्रस्त हैं।इस बीच अधिकारियों ने बताया कि दोलखा में 17 बस्तियों को सुरक्षित जगह बसाए जाने की जरूरत है, क्योंकि इन इलाकों में अभी भी भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।

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