नई दिल्ली ! दिल्ली में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति एवं तबादले पर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच पैदा हुए विवाद के करीब एक सप्ताह बाद केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया है कि उपराज्यपाल के पास लोक व्यवस्था और सेवाओं से संबंधित मुद्दों के अधिकार हैं और वह उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं दिल्ली की आप सरकार ने केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना की है। इस संबंध में अधिसूचना केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गुरुवार को अधिसूचना जारी की गई, जो आज सार्वजनिक हुई। इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार के पास 'सेवाओं' के संबंध में 'कोई कार्यकारी शक्ति नहीं होगी।' अधिसूचना में 'सेवा' शब्द का इस्तेमाल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए किया गया है। अधिसूचना के जरिए भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (एसीबी) से भी केंद्र सरकार के 'अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों' के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार ले लिया गया है।दिल्ली सरकार के अधीन आने वाली एसीबी ने हाल ही में दिल्ली पुलिस के एक जवान पर रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया था। जवाब में दिल्ली पुलिस ने भी एक अज्ञात अधिकारी के खिलाफ कुछ पुलिसकर्मियों के 'अपहरण' को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से जारी इस अधिसूचना की आलोचना करते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हताशा करार दिया। उन्होंने कहा, "भाजपा पहले दिल्ली का चुनाव हारी। अधिसूचना हमारे भ्रष्टाचार-विरोधी प्रयासों को लेकर भाजपा की हताशा दर्शाती है। भाजपा आज एक बार फिर हार गई।"इस साल फरवरी में दिल्ली की सत्ता संभालनेवाली आप सरकार वरिष्ठ अधिकारियों, खासकर आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति एवं तबादले पर अपना अधिकार होने का दावा कर रही है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी अधिसूचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अधिकारियों की नियुक्ति एवं तबादले को एक 'उद्योग' करार दिया। उन्होंने कहा, "इस अधिसूचना से पता चलता है कि दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति एवं तबादला किस प्रकार एक उद्योग बन गया है। यह (अधिसूचना) उसी उद्योग को बचाने की कोशिश है।" दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच वरिष्ठ नौकरशाहों की नियुक्ति एवं तबादले को लेकर विवाद की शुरुआत 15 मई को वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन की मुख्य कार्यवाहक सचिव के पद पर नियुक्ति से हुई। मुख्यमंत्री ने गैमलिन पर राष्ट्रीय राजधानी में बिजली वितरण कंपनियों के लिए लॉबिंग करने का आरोप लगाया है। इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हालांकि केंद्र सरकार के कदम का बचाव करते हुए कहा कि अधिसूचना उपराज्यपाल की शक्तियों के बारे में स्पष्टीकरण के लिए जारी की गई है। जेटली ने कहा, "गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी की गई है, ताकि कोई विवाद न रहे। केंद्र सरकार की सुरक्षित शक्तियों का इस्तेमाल उपराज्यपाल के जरिए किया जाता है। यह अधिसूचना यही स्पष्ट करने के बारे में है, इसलिए कोई भ्रम नहीं रह गया है।" उन्होंने केजरीवाल पर चुटकी लेते हुए कहा, "हम नहीं चाहते कि संदेह की वजह से कार्यालयों पर ताले लगाए जाएं।" गौरतलब है कि दिल्ली की कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के आदेशों का पालन करने पर अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक वरिष्ठ अधिकारी के कार्यालय पर ताला लगवा दिया था। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह अधिसूचना जारी करे, ताकि दिल्ली सरकार उचित तरीके से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सके।
केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा होती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का अपना राज्य लोक सेवा आयोग नहीं है।
इसमें कहा गया है कि 'सेवाएं' राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली की विधानसभा के क्षेत्राधिकार से बाहर है और इसलिए एनसीटी दिल्ली की सरकार को इस मामले में कोई कार्यकारी अधिकार नहीं होगा, बल्कि ये अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल के पास होंगे।