• कश्मीर में हड़ताल के दौरान हिंसा

    श्रीनगर । अलगाववादी नेता मीरवायज मौलवी मुहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन की बरसी पर आज घोषित की गई आम हड़ताल के दौरान उत्तरी कश्मीर के श्रीनगर-बारामुल्ला मार्ग में पलहलन पट्टन में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।...

      बड़ी संख्या में लोग सडक़ों पर उतरे   सुरक्षाबलों व प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पश्रीनगर । अलगाववादी नेता मीरवायज मौलवी मुहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन की बरसी पर आज घोषित की गई आम हड़ताल के दौरान उत्तरी कश्मीर के श्रीनगर-बारामुल्ला मार्ग में पलहलन पट्टन में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। कुछ इलाकों में अघोषित कफ्र्यू के रूप में पाबंदियां भी लागू की गई थी। जम्मूू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के शहर-ए-खास और निचले इलाकों में आम हड़ताल के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुबह से ही कफ्र्यू जैसे प्रतिबंध लगा दिए गए थे।  इस दौरान उत्तरी-कश्मीर को श्रीनगर से जोडऩे वाले पलहलन पट्टन मार्ग में बड़ी संख्या में युवक सडक़ों पर उतर आए और आने-जाने वाले वाहनों पर पथराव करने लगे। इस पर वहां तैनात सुरक्षाबलों ने तत्काल हरकत में आते हुए उन्हें वहां से खदेड़ दिया। प्रदर्शनकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वह दोबारा इक_े हो गए। इसके बाद उन्होंने सुरक्षाबलों तथा वहां से गुजर रहे वाहनों पर पथराव किया। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए सुरक्षाबलों ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े तथा लाठीचार्ज किया। घटना के बाद से यातायात बाधित हो गया। जबकि ईदगाह मैदान में अलगाववादियों की रैली रोकने के क्रम में पुराने शहर के नौ पुलिस थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू लागू कर लोगों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह रैली मीरवायज उमर के पिता मीरवायज मुहम्मद फारुक और अन्य वरिष्ठ अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन की बरसी के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी। हुर्रियत के नरमपंथी धड़े ने लोगों से अपील की थी कि बृहस्पतिवार को पूरी घाटी में बंद रखा जाए और दोपहरबाद शांतिपूर्ण तरीके से ईदगाह मैदान में जमा हुआ जाए, जहां दिवंगत अलगाववादी नेताओं की स्मृति में एक सार्वजनिक सभा आयोजित होगी। अज्ञात हमलावरों ने 1990 में इसी दिन मीरवायज मुहम्मद फारुक की उनके नगीन स्थित आवास में हत्या कर दी थी, वहीं लोन की 2002 में उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह दिवंगत मीरवायज की स्मृति में ईदगाह मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सफाकदल, एमआर गंज, खानयार, रैनवारी, नौहट्टा, नगीन, सौरा, लाल बाजार और क्रेालखुद पुलिस थाना क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए गए हैं। लेकिन लोगों के जरूरी आवागमन के लिए पूरे शहर में अनुमति है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि अलगाववादी कार्यकर्ताओं के एक जिले से दूसरे जिले में आने-जाने पर भी आज प्रतिबंध है। अधिकारी ने कहा कि मीरवायज को एहतियात के तौर पर नजरबंद किया गया है। कौन थे मीरवायजमीरवायज मौलाना फारुक मीरवायज उमर फारुक के पिता थे। वह चाहते थे कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर मसले पर बातचीत में कश्मीर के लोग भी शामिल हों। उनकी मौत (जिसे कि कश्मीरी लोग शहादत के नाम से पुकारते हैं) वर्ष 1990 में हुई थी। उस समय जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन था और राज्य के गर्वनर जगमोहन थे। कश्मीर से कश्मीरी पंडितों का पलायन भी इसी दौर में हुआ था। आज तक कश्मीरी पंडित घाटी वापिस नहीं जा पा रहे हैं। हांलाकि बहुत से लोग मीरवायज की मौत के पीछे सरकार की साजिश करार देते हैं। उस दौरान जब लोगों ने मीरवायज के जनाजे का मातम मनाने के लिए जमा होना शुरू किया तो प्रशासन की तरफ से चलाई गई गोलीबारी में सत्तर लोग मारे गए थे। मीरवायज के लिए पूरे पन्द्रह दिन तक कश्मीर में मातम किया गया था। इसी दिन को कश्मीर में शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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