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सवालों के घेरे में कुपोषण मुक्त भारत का नारा
नई दिल्ली ! केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने अपने मंत्रालय की महिला एवं बाल विकास से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं के लिए और अधिक अनुदान की मांग की है। सूत्रों ने यहां बताया कि मेनका गांधी ने बच्चों और महिलाओं की कल्याण योजनाओं में कटौती करने पर कहा है कि इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव प्रतिकूल होंगे।
पत्रों का ब्योरा देते हुए सूत्रों ने बताया कि गांधी ने वित्त मंत्रालय को दो पत्र इसी वर्ष अप्रैल और मार्च में लिखे हैं और अपने मंत्रालय की योजनाओं के आबंटन में कटौती करने पर आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए और अधिक राशि की जरूरत है। अप्रैल में लिखे पत्र में गांधी ने कहा है कि देश में कुपोषण से निपटने की बड़ी योजना एकीकृत बाल विकास सेवाएं योजना (आईसीडीएस) में कुल मिलाकर 109 अरब रुपए की कटौती की गई है। इस योजना के तहत देशभर में 10 करोड़ से अधिक छह वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने इन योजनाओं के लिए 132.91 अरब रुपए की मांग की है। महिला और बाल विकास से संबंधित योजनाओं में कटौती करने पर गांधी ने कहा है कि इससे सामाजिक और राजनीतिक तौर पर गलत संदेश जाएगा। योजनाओं में केंद्र का हिस्सा कम होने पर राज्य अपने ढंग से योजनाओं को चलाएंगे और ये योजनाएं अपने लक्ष्य से भटक जाएंगी। मेनका गांधी ने महिलाओं और बच्चों से संबधित योजनाओं की महत्ता का उल्लेख किया है और कहा है कि सरकार ने कुपोषण मुक्त भारत का नारा दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय पोषण मिशन तैयार है और इसकी अगले पांच साल में लागत 280 अरब रुपए होगी जबकि इसके लिए महज एक अरब रुपयों का आबंटन किया है।
इस पर जदयू की राय भी मायने रखेगी। उन्होंने कहा कि बिना जदयू की राय के इस मामले पर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता ।