• सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत करने की कोशिश

    नई दिल्ली ! मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांप्रदायिक एजेंडे के बारे में सभी आशंकाएं देश में उसके सत्ता संभालने के सालभर के अंदर सच साबित हुई है। माकपा ने एक बयान में कहा कि नरेंद्र मोदी मई 2014 में जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। ...

     सांप्रदायिक एजेंडा सच साबित हुआ जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाभूमि अधिग्रहण विधेयक पर पलटना एक अनूठा मामलानई दिल्ली !   मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांप्रदायिक एजेंडे के बारे में सभी आशंकाएं देश में उसके सत्ता संभालने के सालभर के अंदर सच साबित हुई है। माकपा ने एक बयान में कहा कि नरेंद्र मोदी मई 2014 में जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। बयान में कहा गया है, "आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की राजनीतिक शाखा के रूप में केंद्र में सत्तासीन दक्षिणपंथी सांप्रदायिक पार्टी, भाजपा के बारे में सभी आशंकाएं पिछले एक साल में सच साबित हुई हैं।"माकपा ने कहा, "भाजपा सरकार ने आरएसएस के एजेंडे को व्यवस्थित तरीके से लागू करने की कोशिश की है। इसने उच्च शिक्षा संस्थानों में आरएसएस के घोषित लोगों को घुसाया है, पाठ्यक्रम को सांप्रदायिक बनाया है। ताजा घटना भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) में तथाकथित व्यापक फेरबदल की है, जहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित भारतीय इतिहासकारों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।"बयान में कहा गया है, "सरकार ने अपने उन मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने से इंकार कर दिया है, जिन्होंने अपने घृणास्पद भाषणों के जरिए लोगों को भड़काया है और सांप्रदायिक रूप से उन्हें ध्रुवीकृत करने की कोशिश की है। देश के विभिन्न हिस्सों से सांप्रदायिक टकराव की घटनाओं और दंगों की खबरें आ रही हैं।"माकपा ने कहा कि पिछले एक साल के भीतर जनता पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया है। बयान में कहा गया है, "दो सप्ताह के भीतर पेट्रोल और डीजल के मूल्यों में दो बार भारी वृद्धि की गई है। अन्य वस्तुओं की महंगाई के साथ यह मूल्य वृद्धि ग्रामीण भारत, खासतौर से किसानों पर एक आपराधिक हमला है, वह भी उन किसानों के ऊपर जिन्हें पिछले एक वर्ष के दौरान मौसम के कई थपेड़ों से जूझना पड़ा है।"माकपा ने कहा कि भाजपा सरकार पूर्व की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के नव उदारवादी आर्थिक नीतियों पर आक्रामकता के साथ आगे बढ़ रही है। माकपा ने कहा है, "भाजपा उन कई मुद्दों पर पलट गई है, जिनका उसने संप्रग सरकार के दौरान विरोध किया था, जैसे कि खुदरा में एफडीआई।"बयान में आगे कहा गया है, "भूमि अधिग्रहण विधेयक पर पलटना एक अनूठा मामला है। लेकिन राज्यसभा में विपक्ष की एकजुटता के कारण सरकार इस विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने के लिए मजबूर हुई है।"पार्टी ने कहा, "मोदी सरकार जिस तरीके से संसदीय लोकतंत्र को कमजोर कर रही है, वह अभूतपूर्व है।"माकपा ने देश के श्रम कानूनों में बड़े बदलाव करने का मोदी सरकार पर आरोप लगाया।माकपा ने कहा कि अन्य वामदलों और लोकतांत्रिक ताकतों के साथ मिलकर आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन तेज किया जाएगा।

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