• 'बंगलादेश के साथ समाप्त होगा सीमा विवाद'

    नई दिल्ली ! भारत और बंगलादेश के बीच 1974 में हुए इंदिरा-मुजीब समझौते को साकार करने के लिये ऐतिहासिक सौवां संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में आज सर्वसम्मति से पारित हो गया। इसके जरिए दोनों देशों एक दूसरे के सीमा के भीतर स्थित भूखंडों का आदान प्रदान करेंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे बंगलादेश के साथ संबंधों में सदभाव आएगा।...

    नई दिल्ली ! भारत और बंगलादेश के बीच 1974 में हुए इंदिरा-मुजीब समझौते को साकार करने के लिये ऐतिहासिक सौवां संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में आज सर्वसम्मति से पारित हो गया।  इसके जरिए दोनों देशों एक दूसरे के सीमा के भीतर स्थित भूखंडों का आदान प्रदान करेंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे बंगलादेश के साथ संबंधों में सदभाव आएगा। यह विधेयक वर्ष 1974 में इंदिरा- मुजीब समझौते के अनुरूप है। बंगलादेश की संसद ने इससे संबंधित कानून उसी समय पारित कर दिया था लेकिन भारत में यह लंबित बना रहा।  उन्होंने कहा कि इस विधेयक से बंगलादेश के साथ लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद समाप्त हो जाएगा और दोनों देशों के बीच सीमांकन हो जाएगा। विश्व स्तर पर यह संदेश जाएगा कि भारत अपने पड़ोसियों साथ संबंध सुधारने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है। उन्होंने कहा कि इस मूल रूप से चार राज्य असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल प्रभावित होंगे। इसलिए संबंधित राज्यों के साथ विस्तृत रूप से विचार विमर्श किया गया है और उनकी ङ्क्षचताओं का समाधान किया गया है। भारत सरकार और बंगलादेश सरकार के बीच किए गए करार और समझौते के अनुसार 101 भूखंड बंगलादेश को  दिए जाएगें और 51 भूखंड भारतीय क्षेत्र में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इससे दोनों देशों के बीच इन भूखंडों में रह रहे लोगों का आदान प्रदान होगा और भारतीय क्षेत्र में आने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए राज्यों को वित्तीय मदद दी जाएगी। उन्होंने  कहा कि इसके लिए राज्य सरकारों को 3389 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जिससे जरूरतों के अनुरूप बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि 3300 से लेकर 35000 लोगों का भारत आने का अनुमान है। चूंकि इस अनुमान में अंतर बहुत ज्यादा है इसलिए राशि निर्धारित करना संभव नहीं है।  स्वराज ने कहा कि इस विधेयक का मकसद भारत और बंगलादेश के संबंधों को वर्ष 1971 के स्तर तक ले जाना है।   विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के कर्ण ङ्क्षसह ने कहा कि स्वतंत्रता को लंबा समय बीत गया है लेकिन पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद बने हुए हैं। बंगलादेश के साथ सीमा विवाद का स्थायी समाधान करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। 'देर आयद दुरस्त आएÓ  मुहावरे का उल्लेख करते डा. ङ्क्षसह ने कहा कि इससे देशों के बीच सदभावना बढ़ेगी। विधेयक का समर्थन करते हुए कांग्रेस सदस्य ने उम्मीद जताई कि चीन और पाकिस्तान के साथ भी सीमा विवाद का हल  निकलेेगा।   भारतीय जनता पार्टी के दिलीपभाई पांड्या ने कहा कि इस विधेयक सरकार की पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की मंशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विधेयक पेश करने से पहले सरकार ने संपूर्ण विपक्ष और सभी संबंधित राज्यों से विचार विमर्श किया है। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे सीमा पर विसंगतियां समाप्त होगी लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के बाद देश की सीमाएं लगातार  सिकुड़ती जा रही है। जनता दल यू के शरद यादव ने कहा कि यह डा. राममनोहर लोहिया के भारतीय महासंघ के सपने के अनुरूप है। इससे सीमा पर रक्षा पर होने वाला खर्च बचेगा और पूरे क्षेत्र का कल्याण होगा।  तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शंकर राय ने कहा कि इसको लागू करने का खर्च केंद्र  को वहन करना चाहिए। अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि श्रीलंका के साथ किए गए समझौते पर फिर से बातचीत की जानी चाहिए। इसके तहत कच्चा तिवू श्रीलंका को दिया गया है। बहुजन समाज पार्टी के सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि इससे भारी संख्या में लोगों का एक से दूसरे इलाके में पलायन होगा। इसके लिए सरकार को व्यापक तैयारी करनी चाहिए और लोगों की मदद के लिए नीति बनानी चाहिए।    माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के आर बनर्जी ने कहा कि बंगलादेश की सीमा से लगती बस्तियों और इंक्लेव में रहने वाले लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। उनके पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है और इस विधेयक के पारित होने से इन लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा। हालाकि उन्होने कहा कि इस समझौते से भारत को 10 हजार एकड भूमि का नुकसान होगा।    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा और द्रमुक के तिरूचि शिवा ने कहा कि सरकार ने बंगलादेश के साथ सीमा विवाद का समाधान कर लिया यह स्वागत योग्य है और वे इसका समर्थन करते हैं लेकिन उसे कच्चातीवु द्वीप को लेकर श्रीलंका के साथ हुए समझौते पर नये सिरे से बातचीत करनी चाहिए। इन नेताओं ने कहा कि यह समझौता करते समय तमिलनाडु के लोगो को विश्वास में नहीं लिया गया और यह समझौता दो देशों के प्रधानमंत्रियों तक ही सीमित था। राजा ने चीन के साथ सीमा विवाद के समाधान की भी बात कही।  कांग्रेस के पी भट्टाचार्य ने कहा कि 1974 में बंगलादेश के साथ हुए समझौते का पालन नहीं होने से बहुत समस्या हो रही थी और अब यह समस्या दूर हो जायेगी। उन्होंने कहा कि अब सरकार को सीमा पर बाड लगाने के काम को तेजी से पूरा करना चाहिए।   शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि अब बंगलादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ पर रोक लग सकेगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय राजनीति को विदेश नीति से जुड़े मामलों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।        ०००विधेयक में क्या है विशेषभारत सरकार और बंगलादेश सरकार के बीच किए गए करार और समझौते के अनुसार 101 भूखंड बंगलादेश को  दिए जाएगें और 51 भूखंड भारतीय क्षेत्र में आ जाएंगे,इससे दोनों देशों के बीच इन भूखंडों में रह रहे लोगों का आदान प्रदान होगा और भारतीय क्षेत्र में आने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए राज्यों को वित्तीय मदद दी जाएगी।

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